बतंगड़ः कांग्रेस के सामने भाजपा की मनोवैज्ञानिक बढ़त को पाटने की चुनौती |

बतंगड़ः कांग्रेस के सामने भाजपा की मनोवैज्ञानिक बढ़त को पाटने की चुनौती

कांग्रेस के सामने भाजपा की मनोवैज्ञानिक बढ़त को पाटने की चुनौती | The challenge before the Congress is to bridge the psychological edge of the BJP | Madhya Pradesh Assembly Electon 2023 | Chhattisgarh Assembly Elelction 2023

Written By :   Modified Date:  August 18, 2023 / 02:28 PM IST, Published Date : August 18, 2023/2:23 pm IST

सौरभ तिवारी, डिप्टी एडिटर, IBC24

सौरभ तिवारी, डिप्टी एडिटर, IBC24

युद्ध नीति के प्रमुख सूत्रों में दुश्मन पक्ष को चौंकाना भी शामिल है। चुनाव को युद्ध की मानसिकता से लड़ने वाली मोदी-शाह की भाजपा को इसमें महारत हासिल है। भाजपा ने एक बार फिर अपनी इस रणनीति पर अमल करते हुए विरोधी पक्ष को चौंका दिया है। दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक खत्म हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि भाजपा ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। चुनावों से करीब ढाई महीने पहले ही मध्यप्रदेश के 39 और छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवार की लिस्ट जारी करके भाजपा ने मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है।

ऐसा पहली बार हुआ है जब भाजपा ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने से पहले ही अपने उम्मीदवारों की लिस्ट घोषित कर दी है। दरअसल भाजपा इन बार सर्वथा नई रणनीति के साथ सत्ता के सेमीफाइनल मैच में उतरने जा रही है। रणनीति इतनी गोपनीय है कि इसकी भनक विरोधियों और मीडिया को तो छोड़िए खुद प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों को ही नहीं लग रही है। बुधवार की शाम को जब दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई तो मीडिया के हवाले से ये खबर आई कि इस बैठक में चुनावी राज्यों की सीटों को ए, बी, सी और डी की चार कैटेगरी में बांटा गया है। डी कैटेगरी में उन सीटों को शामिल किया गया है जहां भाजपा कभी नहीं जीती जबकि सी श्रेणी में वे सीटें हैं जहां पार्टी पिछले दो-तीन चुनावों से हारती आ रही है।

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बैठक के बाद मीडिया और भाजपा नेताओं के हवाले से कहा गया कि पार्टी इन सीटों की टिकट सबसे पहले घोषित करेगी। लेकिन इतनी जल्द घोषित कर देगी इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। खुद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में शामिल रहे छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रायपुर लौटने के बाद कहा कि सितंबर तक कुछ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे। लेकिन रमन सिंह को ये कहे अभी घंटे भर भी नहीं बीते थे कि 4 बजने से कुछ देर पहले ही भाजपा की पहली लिस्ट जारी हो गई। हालांकि ये भी हो सकता है कि रमन सिंह ने कांग्रेस को भरमाने के लिए जानबूझ कर सितंबर में लिस्ट जारी होने की बात कही हो।

यानी संदेश और संकेत साफ है कि भाजपा की तैयारी पुख्ता है। और तैयारी आखिर पुख्ता हो भी क्यों नहीं। पांच राज्यों में इस साल होने वाले ये चुनाव अगले साल होने वाले सत्ता के फाइनल से पहले के सेमीफाइनल जो ठहरे। चूंकि इन राज्यों से होकर ही सत्ता के सिंहासन तक का रास्ता गुजरना है लिहाजा भाजपा इन्हें हर हाल में जीतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी के सबसे बड़े ट्रंपकार्ड नरेंद्र मोदी, भाजपा के चाणक्य अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा समेत प्रदेश चुनाव प्रभारियों और रणनीतिकारों का लगातार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का दौरा नाहक ही नहीं हो रहा था। दोनों ही प्रदेशों में भाजपा के रणनीतिकारों की मैराथन बैठकों का दौर जारी है। अमित शाह तो दोनों ही प्रदेशों की राजधानियों में पिछले माह भर में दो बार शाम को पहुंचकर यहां रात गुजार चुके हैं। शाह न केवल यहां के चुनावी रणनीतिकारों को टास्क दे रहे थे बल्कि उनकी माइक्रो समीक्षा भी कर रहे थे।

यानी जिस सी और डी कैटेगरी सीटों की बात की जा रही थी, उसकी सीट वाइज सारी एक्सरसाइज केंद्रीय नेतृत्व यहां के चुनिंदा नेताओं के साथ पहले ही कर चुका था। इन टफ सीटों के लिए उम्मीदवार पहले ही तय कर लिए गए थे। दिल्ली में हुई केंद्रीय समिति की बैठक में उन नामों पर केवल अंतिम मुहर लगी है। डेंजर जोन की सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा चुनाव से काफी पहले कर दिए जाने के पीछे के पीछे की मुख्य दो वजह हैं। पहला इससे ना केवल घोषित उम्मीदवार को अपनी चुनावी तैयारी का भरपूर समय मिल जाएगा बल्कि टिकट घोषित होने के बाद बगावत से होने वाले डैमेज को समय रहते कंट्रोल करने में भी आसानी होगी।

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भाजपा को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनावी नतीजों की अहमितयत का पता है। मध्यप्रदेश में उसके सामने सत्ता बनाए रखने की चुनौती है तो छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता छीनने का अवसर है। भाजपा को पता है कि इन राज्यों में मिली जीत-हार लोकसभा चुनाव में मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने के लिहाज से काफी अहम साबित होगी। इसीलिए भाजपा ने टिकट तय करने में केवल विनिंग फैक्टर का ध्यान रखा है। पहली लिस्ट में शामिल प्रत्याशियों की सियासी कुंडली खंगालने पर ये साफ दिखता है कि भाजपा ने किसी निर्धारित मापदंड का पालन ना करते हुए केवल उस प्रत्याशी की जीत की संभावना को प्रमुखता दी है। यही वजह है कि लिस्ट में कई नये चेहरे हैं तो वो पिछले चुनाव में हारने वाले प्रत्याशी भी शामिल हैं। मध्यप्रदेश में तो भाजपा ने 50 फीसदी हारे चेहरों पर दांव लगाया है। इस लिस्ट में पिछले चुनाव में भाजपा से बगावत करके निर्दलीय लड़ने वाले प्रत्याशी शामिल हैं तो दूसरी पार्टी से पाला बदलकर आए दलबदलू भी शामिल हैं। बालाघाट की लांजी सीट से टिकट पाने वाले राजकुमार कर्राये बुधवार की सुबह तक आम आदमी पार्टी में थे। सुबह उन्होंने इस्तीफा दिया और शाम को उनको टिकट मिल गई। परिवारवाद को लेकर विरोधियों पर निशाना साधने वाली भाजपा ने मध्यप्रदेश में 3 नेता पुत्रों को टिकट से नवाजा है। 75 वर्ष की उम्र का क्राइटएरिया भी दरकिनार करने में पार्टी ने संकोच नहीं दिखाया है। चंदेरी से 75 साल के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को टिकट मिली है।

दरअसल भाजपा की रणनीति विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करके लोकसभा चुनाव में साइकोलॉजिकल माइलेज लेने की है। टिकटों की पहली लिस्ट जारी करके भाजपा ने कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक दबाव में ला दिया है। इधर कांग्रेस अभी टिकटों के दावेदारों से आवेदन लेने की लंबी प्रक्रिया में उलझी है, उधर भाजपा ने सीधे केंद्रीय स्तर से लिस्ट जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब देखना है कि भाजपा की ओर से हासिल की गई मनोवैज्ञानिक बढ़त को पाटने के लिए कांग्रेस क्या रुख अख्तियार करती है?

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