Detailed analysis on the reshuffle in the Congress government and organization1

बतंगड़ः मौसम बिगड़ने से पहले ही कांग्रेस ने बांध ली अपनी कुर्सी की पेटी

Edited By :   Modified Date:  July 17, 2023 / 01:14 PM IST, Published Date : July 16, 2023/3:25 pm IST

सौरभ तिवारी, डिप्टी एडिटर IBC24

जिस तरह प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है… दिल दिया नहीं जाता, खो जाता है, ठीक उसी तरह सियासत में इस्तीफा दिया नहीं जाता, हो जाता है। और अगर इस्तीफा दिया नहीं जाता तो उसे हटा दिया जाता है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हालिया सियासी घटनाक्रम में ये दोनों घटनाएं हुईं। एक को इस्तीफा देना पड़ा तो दूसरे का पद छीन लिया गया। प्रेमसाय सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा तो कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को पद से हटा दिया गया। (Detailed analysis on the reshuffle in the Congress government and organization1) मंत्री टेकाम ने तो बड़े भारी मन से कहा भी कि, ‘इस्तीफा दिया नहीं जाता, लिया जाता है।’ टेकाम से छीनी गई मंत्री पद की कुर्सी मोहन मरकाम को सौंपी गई तो मरकाम से छीनी गई अध्यक्षी की कुर्सी बस्तर के सांसद दीपक बैज को सौंप दी गई।

मोहन मरकाम को मंत्री पद उनसे छीने गए कांग्रेस अध्यक्ष पद की क्षतिपूर्ति में मिला है। अब चूंकि छत्तीसगढ़ में अधिकतम 13 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं तो मरकाम को मंत्री बनाने के लिए किसी ना किसी को तो अपने मंत्री पद की बलि देनी ही थी। बलि का बकरा बनना पड़ा उप मुख्यमंत्री टी एस सिंह देव खेमे के प्रेमसाय सिंह टेकाम को। चुनाव के तीन महीने पहले हुए तीन बड़े बदलावों में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की अंतर्कथा समाहित है। इस सियासी पटकथा के कथानक का ताना-बाना कका, बाबा और मरकाम के त्रिकोणीय किरदारों से बुना गया है। इन बदलावों के साथ ही कांग्रेस ने चुनावी मोड को टॉप गेयर में डाल दिया है।

कांग्रेस ने चुनावी मोड में आने की शुरुआत टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बना कर की थी। पिछले चुनाव में जिस जय-वीरू की जोड़ी ने कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी वो अब बदले सियासी परिदृश्य में कका-बाबा की जोड़ी के रूप में मोर्चा संभाल चुकी है। जय-वीरू के कका-बाबा की जोड़ी में रूपांतरण होने के बीच काफी कुछ घटा है। दरअसल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ये वे तीन राज्य हैं, जहां पिछले विधानसभा चुनावों में वहां की जोड़ियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस को सत्ता दिलवाई। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर इन राज्यों की जोड़ियों के बीच प्रतिद्वंद्विता पनपी जिसका निराकरण कांग्रेस आलाकमान ने तब अघोषित समझौते के मार्फत अपने स्तर पर कर दिया था। लेकिन सत्ता के दावेदारों के बीच कराया गया ये सियासी समझौता मध्यप्रदेश में कायम नहीं रह सका, और परिणति सत्ता गंवाने के रूप में हुई। हालांकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी को ‘सिंधिया’ बना कर सत्ता हथियाने में नाकाम रही लेकिन दोनों प्रदेशों में बदला, बदलाव और बगावत की खुसुर-फुसुर चलती रही।

चुनाव के मुहाने पर खड़े इन दोनों प्रदेशों में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों ध्रुवों की प्रतिद्वंद्विता को समाप्त करके खुद को एकजुट दिखाने की थी। कांग्रेस अपनी इस कोशिश में फिलहाल कामयाब होती दिख रही है। हाल ही में कर्नाटक में सिद्धरमैया और डी शिवकुमार के बीच सहमति बनाने का कौशल दिखाने के बाद कांग्रेस आलाकमान राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को एकजुट करने में सफल हुई है। राजस्थान में आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद पायलट अपनी अलग उड़ान नहीं भरने के लिए मान गए हैं तो छत्तीसगढ़ में भी कका और बाबा की जोड़ी बहाल करके कांग्रेस ने भाजपा के ‘सिंधियाई’ मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में आलाकमान की ओर से बनाई गई हालिया एकजुटता का असर अब धरातल में दिखाई भी देने लगा है। (Detailed analysis on the reshuffle in the Congress government and organization1) उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी पदोन्नति के बाद मुख्यमंत्री निवास पर सौजन्य भेंट करने पहुंचे सिंहदेव ने भूपेश बघेल की अगुवाई में अगला चुनाव लड़ने की घोषणा करने के अलावा सार्वजनिक मंचों पर भी एकजुटता की देहभाषा से ये संदेश दे दिया है कि दोनों के बीच अब अंडरस्टैंडिंग कायम हो चुकी है। हालांकि इस अंडरस्टैंडिंग की पहली असली परीक्षा कुछ दिनों बाद ही टिकट वितरण में होनी बाकी है। इस दफा घोषणा पत्र समिति का संयोजक बनने से इंकार करके सिंहदेव ने नाराजगी की नुमाइश की गुंजाइश को बनाए रखा है।

सिंहदेव को साध कर कांग्रेस ने सरगुजा को साध लिया है तो वहीं दीपक बैज को कांग्रेस अध्यक्ष बना कर बस्तर की अहमियत को बरकरार रखा है। बस्तर के आदिवासी विधायक मोहन मरकाम की कुर्सी पर बस्तर के ही आदिवासी सांसद दीपक बैज को बैठाकर कांग्रेस ने भाजपा के हाथ से वो अवसर भी छीन लिया कि वो अपने आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की तोहमत पर पलटवार भी कर सके। सरगुजा के प्रेससाय सिंह टेकाम से मंत्री पद छीनकर बस्तर के मोहन मरकाम को मंत्री बनाकर अब क्षेत्रीय संतुलन भी स्थापित हो चुका है। सरगुजा और बस्तर दोनों इलाकों से अब 2-2 मंत्री हो गए हैं।

अपनी इन हालिया कवायदों के चलते कांग्रेस ने चुनावी तैयारी की शुरुआती पिछड़न के बाद अब बढ़त बना ली है। अमित शाह की रणनीतिक बैठक, प्रधानमंत्री मोदी की सभा, घोषणापत्र और आरोप पत्र समिति का गठन, प्रदेश प्रभारी ओममाथुर की मैराथन बैठकों के चलते भाजपा ने चुनावी तैयारियों को लेकर शुरुआती बढ़त बना ली थी। लेकिन इससे पहले की मौसम बिगड़े कांग्रेस ने अपनी कुर्सी की पेटी बांध ली। कांग्रेस में हुए हालिया बदलाव ने कांग्रेस को सत्ता-संगठन के बीच चल रहे अंतरसंघर्ष से हो सकने वाले संभावित नुकसान को काफी हद तक कम कर दिया है।

प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद रायपुर पहुंचने पर दीपक बैज के स्वागत पर एकजुटता दिखाकर कांग्रेस ‘माहौल’ बनाने में कामयाब रही है। इस मौके पर मरकाम ने भूपेश बघेल के चेहरे पर ही अगला चुनाव लड़ने की स्वीकारोक्ति भरा ऐलान करके कांग्रेस के अगले सीएम को लेकर उठ सकने वाले सारे किंतु-परंतु पर विराम लगा दिया। सिंहदेव के बाद मरकाम की ओर से भी अपने नेता के चेहरे की सहमति मिल जाने से अभिभूत होकर नये नवेले प्रदेश अध्यक्ष ने तो सीधे भाजपा के सबसे बड़े चेहरे नरेंद्र मोदी को ही चुनौती दे डाली है। बैज ने भाजपा को खुले तौर पर ललकारा है कि अगर उसमें दम हो तो वो मोदी के नाम पर चुनाव लड़ कर देख ले, हम अपने मुख्यमंत्री के नाम और काम पर चुनाव लड़ेंगे।

दीपक बैज ने बहुत सोच-समझकर ये चुनौती दी है। दरअसल भाजपा के लिए इस बार छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा संकट चेहरे का ही है। मोदी मार्का राजनीति का अनुसरण करके भूपेश बघेल ने भाजपा को उसी की शैली में जवाब देने की जिस रणनीति पर अमल किया था, उसने उन्हें निःसंदेह कांग्रेस का पापुलर चेहरा बना दिया है। (Detailed analysis on the reshuffle in the Congress government and organization1) भाजपा के राष्ट्रवाद की काट के तौर पर स्थापित किया गया छत्तीसगढ़ियावाद अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। अब देखना है कि भाजपा ‘मोदी वर्सेस भूपेश’ की चुनौती स्वीकार करने का जोखिम उठाती है या फिर बिना चेहरे के ही चुनाव मैदान में जाने की समझदारी दिखाती है।

और भी लेटेस्ट और बड़ी खबरों के लिए यहां पर क्लिक करें