'आत्मनिर्भर भारत' के लिए जीडीपी में कृषि क्षेत्र की 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी जरूरी: गडकरी |

‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए जीडीपी में कृषि क्षेत्र की 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी जरूरी: गडकरी

'आत्मनिर्भर भारत' के लिए जीडीपी में कृषि क्षेत्र की 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी जरूरी: गडकरी

:   Modified Date:  January 27, 2023 / 10:16 PM IST, Published Date : January 27, 2023/10:16 pm IST

पुणे, 27 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी 24 फीसदी से अधिक होनी जरूरी है।

उन्होंने साथ ही ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। वह यहां श्री बालाजी विश्वविद्यालय के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, ”हमारी कृषि और संबद्ध क्षेत्र की आय सकल घरेलू उत्पाद का 12 प्रतिशत है। विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 22 से 24 प्रतिशत है, और सेवा क्षेत्र का हिस्सा 52 से 54 प्रतिशत है। मैं यहां यह कहने आया हूं कि जब तक यह 12 प्रतिशत (कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी) से 24 प्रतिशत से अधिक नहीं हो जाता, तब तक आत्मनिर्भर भारत बनाने में कठिनाइयां रहेंगी।”

गडकरी ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे गरीबी कम करने में मदद मिलेगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा, ”जब तक हम कुछ क्षेत्रों में पानी, परिवहन और संचार की सुविधाएं नहीं बढ़ाएंगे, तब तक उद्योग नहीं आएंगे।”

मंत्री ने प्रबंधन छात्रों को संबोधित करते हुए 1990 के दशक में महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे का एक किस्सा बताया।

गडकरी ने कहा कि उन्होंने रिलायंस समूह की बोली को स्वीकार नहीं किया, जो सबसे कम थी, और इसके बजाय एक सरकारी संस्था के जरिए 1,600 करोड़ रुपये में यह काम करवाया।

उन्होंने कहा कि रिलायंस समूह की 3600 करोड़ रुपये की निविदा सबसे कम थी, और नियमों के अनुसार सबसे कम बोली लगाने वाले को काम दिया जाना चाहिए था।

गडकरी के मुताबिक उनकी अंतरात्मा ने कहा कि यह काम 1800 करोड़ रुपये में हो सकता है और 3600 करोड़ रुपये ज्यादा है।

मंत्री ने कहा कि इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) का गठन किया और दो साल में सड़क 1,600 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हो गई।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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