भारतीयों को अमेरिका की रक्षा परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति मिले: भारतीय-अमेरिकी उद्यमी |

भारतीयों को अमेरिका की रक्षा परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति मिले: भारतीय-अमेरिकी उद्यमी

भारतीयों को अमेरिका की रक्षा परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति मिले: भारतीय-अमेरिकी उद्यमी

:   Modified Date:  June 6, 2023 / 12:47 PM IST, Published Date : June 6, 2023/12:47 pm IST

(ललित के झा)

सिलिकॉन वैली, छह जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी महीने होने जा रही आधिकारिक अमेरिका यात्रा से पहले एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी उद्यम निवेशक ने कहा है कि भारतीयों को अमेरिका की रक्षा परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति मिलनी चाहिए क्योंकि इससे द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी रक्षा क्षेत्र में नवाचार लागत में कमी आएगी।

मोंटा विस्टा कैपिटल के साझेदार और टीआईई ग्लोबल के पूर्व चेयरपर्सन वेंकटेश शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को यहां आकर, भारतीयों को अमेरिका की रक्षा परियोजनाओं पर काम की अनुमति दिए जाने की मांग करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए अमेरिकी रक्षा क्षेत्र के दरवाजे खुलने से क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी कमियों को कम करने में मदद मिलेगी, द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा, भारत में नवाचार माहौल को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी रक्षा क्षेत्र में नवाचार लागत भी कम होगी।

शुक्ला ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, “एक क्षेत्र है जो यहां बहुत बड़ा है। भारत ने इसका बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया है… और वह क्षेत्र है रक्षा विभाग के लिए इसका सॉफ्टवेयर और सभी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे।”

उन्होंने कहा कि इस देश में सभी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हैं।

वेंकटेश शुक्ला ने कहा, “क्योंकि वे कोबोल पर चल रहे हैं, 30 साल पुराने लीनक्स प्रणालियों पर चल रहे हैं… वह ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल रहे हैं, जिनकी समस्याएं सब जानते हैं। अमेरिका के पास पर्याप्त कर्मी नहीं हैं।”

उन्होंने कहा, “अगर भारत में बैठा कोई भारतीय उस प्रोजेक्ट पर काम कर सकता है। इसलिए दो लाख डॉलर खर्च करने के बजाय अब आप सिस्टम को कई गुना बेहतर बनाने की क्षमता बढ़ाकर केवल 30-40,000 डॉलर खर्च करते हैं। लेकिन भारतीयों को रक्षा परियोजनाओं पर काम करने की अनुमति नहीं है। यह एक विशाल अवसर है। अगर मैं नरेन्द्र मोदी को एक सलाह दूं तो वही दूंगा कि (अमेरिका से) उसके लिए कहें।”

भाषा अनुराग मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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