वैश्विक चुनौतियों के बावजूद 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7-7.8% की दर से बढ़ेगी: विशेषज्ञ |

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7-7.8% की दर से बढ़ेगी: विशेषज्ञ

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7-7.8% की दर से बढ़ेगी: विशेषज्ञ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : June 23, 2022/5:47 pm IST

(विजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) वैश्विक चुनौतियों के बीच बेहतर कृषि उत्पादन के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने से चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7-7.8 प्रतिशत रह सकती है। अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है।

गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगा है और दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है।

जानेमाने अर्थशास्त्री और बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (बेस) के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक कारणों से कई चुनौतियों का सामना कर रही है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम पैदा हुआ है, हालांकि घरेलू स्तर पर वृहत आर्थिक बुनियाद मजबूत हैं।

भानुमूर्ति ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘बेहतर कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ भारत को चालू वित्त वर्ष में वैश्विक बाधाओं के बावजूद सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी चाहिए।’’

औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान (आईएसआईडी) के निदेशक नागेश कुमार ने कहा कि महत्वपूर्ण आंकड़ें (जीएसटी संग्रह, निर्यात, पीएमआई आदि) 2022-23 के दौरान एक मजबूत वृद्धि दर की ओर संकेत करते हैं और वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7-7.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है।

फ्रांस के अर्थशास्त्री गाय सोर्मन ने कहा कि भारत ऊर्जा और उर्वरक आयात की उच्च लागत से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत अभी भी एक कृषि अर्थव्यवस्था है, ऐसे में धीमी वृद्धि का सामाजिक प्रभाव शहर के श्रमिकों के अपने गांव वापस जाने से कम हो जाएगा। इससे कृषि उत्पादन और खाद्यान्न निर्यात बढ़ सकता है।’’

भारत की अर्थव्यवस्था पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 6.6 प्रतिशत घटी थी।

ऊंची महगाई दर के बारे में भानुमूर्ति ने कहा कि मार्च 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर पहुंची और पिछले तीन महीनों में इसमें तेजी का मुख्य कारण ईंधन के दाम में उछाल है।

उन्होंने कहा, ‘‘…वैश्विक स्तर पर ईंधन के दाम बढ़ने और अन्य जिंसों के भाव में तेजी से खुदरा मुद्रास्फीति अचानक से बढ़ी है…लेकिन ईंधन पर करों में कटौती और नीतिगत दर में वृद्धि जैसे हाल के नीतिगत उपायों से महंगाई दर आने वाली तिमाहियों में नरम पड़नी चाहिए।’’

कुमार ने कहा कि जिंसों के दाम में तेजी भारतीय आर्थिक परिदृश्य के नीचे जाने का जोखिम पैदा करती है क्योंकि महंगाई दर ऊंची है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद मुझे नहीं लगता कि भारत निम्न वृद्धि दर के साथ ऊंची मुद्रास्फीति की स्थिति (स्टैगफ्लेशन) की ओर बढ़ रहा है। इसका कारण वृद्धि दर का मजबूत होना है।’’

भाषा पाण्डेय रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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