वर्तमान वैश्विक माहौल में सात प्रतिशत के दायरे में देश की आर्थिक वृद्धि दर बेहतर: सान्याल |

वर्तमान वैश्विक माहौल में सात प्रतिशत के दायरे में देश की आर्थिक वृद्धि दर बेहतर: सान्याल

वर्तमान वैश्विक माहौल में सात प्रतिशत के दायरे में देश की आर्थिक वृद्धि दर बेहतर: सान्याल

:   Modified Date:  March 27, 2024 / 06:50 PM IST, Published Date : March 27, 2024/6:50 pm IST

नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने बुधवार को कहा कि जब तक वैश्विक माहौल में सुधार नहीं होता, भारत को मौजूदा वृद्धि दर से संतुष्ट रहना चाहिए। उन्होंने सात प्रतिशत के दायरे में आर्थिक वृद्धि को बेहतर बताया।

सान्याल ने यह भी कहा कि वृहद आर्थिक मोर्चे पर कड़ी मेहनत से जो स्थिरता हासिल की गयी है, उसे बनाये रखना जरूरी है।

सान्याल ने समाचार चैनल ‘टाइम्स नाऊ’ सम्मेलन में कहा, ‘‘…हमारे लिए दहाई अंक में वृद्धि हासिल करना संभव है, लेकिन मैं वास्तव में इसको लेकर सावधान हूं। यह पूरा खेल वृद्धि पर वृद्धि को लेकर है।’’

भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से बेहतर 8.4 प्रतिशत रही है, जो पिछले डेढ़ साल की सबसे तेज रफ्तार है।

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में अच्छी वृद्धि दर से चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था की अभी जो वृद्धि दर है, फिलहाल उससे अधिक बढ़ाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। अगर वैश्विक वातावरण में नाटकीय रूप से सुधार नहीं होता है, तब क्या होगा, हमारे बाह्य खाते, मुद्रास्फीतिक दबाव पड़ेगा।’’

सान्याल ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि वृहद आर्थिक मोर्चे पर कड़ी मेहनत से जो स्थिरता हासिल की गयी है, उसे बनाये रखना जरूरी है। ‘‘आप वृद्धि की बहुत ऊंची दर तभी हासिल कर सकते हैं जब वैश्विक माहौल अनुकूल हो। अन्यथा हम जो कर रहे हैं उससे हमें संतुष्ट होना चाहिए। इस लिहाज से सात प्रतिशत के दायरे में वृद्धि दर बेहतर है।’’

जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत वृद्धि के स्थान पर स्थिरता को चुनेगा। क्योंकि यह 25 वर्षों में इस वृद्धि दर को बढ़ाने को लेकर है। वास्तव में, 2023 के अंतिम तीन महीनों में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर आश्चर्य वाली बात है।

भारत में असमानता बढ़ने के बारे में थॉमस पिकेटी की हाल ही में लिखी रिपोर्ट के बारे में सान्याल ने कहा, ‘‘पिकेटी और कंपनी ने जो अध्ययन किया है वह कुछ नहीं बल्कि कूड़ा है। वास्तव में देश को अपने अरबपतियों को लेकर जश्न मनाने की जरूरत है जैसा कि अमेरिका में किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी रिपोर्ट में, यदि आप छोटे अक्षरों में नीचे लिखी बातें को पढ़ेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि … विभिन्न अवधियों की तुलना करने के लिए उन्होंने जो आंकड़े इस्तेमाल किये हैं, वे तुलना योग्य नहीं है।’’

सान्याल ने कहा, ‘‘इस अध्ययन रिपोर्ट को फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन जैसे संस्थान वित्तपोषित करते हैं। इन एनजीओ (गैर-सरकारी संगठनों) को तबतक कोई समस्या नहीं है जब तक अरबपति श्वेत है।’’

हाल ही में, थॉमस पिकेटी (पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब), लुकास चांसल (हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) और नितिन कुमार भारती (न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब) के एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में 2000 के दशक की शुरुआत से असमानता तेजी से बढ़ी है। 2022-23 में शीर्ष एक प्रतिशत आबादी की आय और संपत्ति हिस्सेदारी क्रमशः 22.6 प्रतिशत और 40.1 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

भाषा रमण अजय

अजय

 

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