पामोलीन के भाव टूटने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में रही चौतरफा गिरावट |

पामोलीन के भाव टूटने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में रही चौतरफा गिरावट

पामोलीन के भाव टूटने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में रही चौतरफा गिरावट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : August 21, 2022/5:43 pm IST

नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में पामोलीन तेल की नयी खेप आने के बाद दाम टूटने से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सीपीओ, पामोलीन सहित लगभग सभी खाद्यतेल तिलहन कीमतों में चौतरफा गिरावट देखने को मिली।

बाजार सूत्रों ने कहा कि पामोलीन के आगामी सौदों के भाव पामोलीन तेल के मौजूदा भाव से 10-12 रुपये किलो सस्ता बैठेंगे। पामोलीन का मौजूदा भाव कांडला बंदरगाह पर 114.50 रुपये प्रति किलो बैठता है लेकिन इसके आगे के अनुबंधों की कीमत 101-102 रुपये प्रति किलो बैठेगी। ऐसे में सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सरसों, जैसे सारे खाद्य तेल कीमतों पर भारी दबाव है। पामोलीन के आगे कोई भी खाद्यतेल टिकता नहीं दिख रहा है। इस परिस्थिति में समीक्षाधीन सप्ताह में लगभग सभी तेल तिलहन कीमतें भारी गिरावट दर्शाती बंद हुई।

सूत्रों ने कहा कि सवा महीने के बाद मंडियों में सोयाबीन, मूंगफली और बिनौला की नयी फसलें आना शुरु होंगी और भाव इस तरह जमीन पर लेटा रहा तो उसके आगे इन तेलों की खपत को लेकर चिंता बढ़ रही है। सूत्रों ने कहा कि सरकार को समय रहते चाक चौबंद होकर ऐसे कदम उठानें होंगे ताकि घरेलू तेल उद्योग भी आगे बढ़े, स्थानीय तिलहन किसानों के हितों की रक्षा हो सके और उपभोक्ताओं को भी वाजिब दाम पर खाद्यतेल उपलब्ध हों।

सूत्रों ने कहा कि दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को लेकर है। थोक में कम मार्जिन पर बिक्री करने के बाद खुदरा कारोबारी लगभग 50 रुपये अधिक एमआरपी पर उसे बेचते हैं। जबकि यह एमआरपी, वास्तविक लागत से 10-15 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि सरकार के साथ बैठकों में तेल कीमतों की महंगाई की बात आने पर खुदरा कारोबारी 50 रुपये से अधिक एमआरपी में अमूमन 10-15 रुपये तक की कमी को राजी हो जाते हैं लेकिन इससे वैश्विक खाद्य तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ ले पाने से उपभोक्ता वंचित ही रहते हैं।

सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 75 रुपये टूटकर 7,240-7,290 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 250 रुपये टूटकर 14,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 35-35 रुपये गिरकर क्रमश: 2,305-2,395 रुपये और 2,335-2,450 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि गिरावट के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 300-300 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,145-6,220 रुपये और 5,945-6,020 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतें भी गिरावट के साथ बंद हुई। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 520 रुपये टूटकर 13,180 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 400 रुपये टूटकर 13,050 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 850 रुपये लुढ़ककर 11,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

पामोलीन के भाव टूटने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 20 रुपये टूटकर 6,920-7,045 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 70 रुपये टूटकर 16,180 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 10 रुपये की गिरावट के साथ 2,700-2,890 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 1,075 रुपये की भारी गिरावट के साथ 10,380 रुपये क्विंटल रह गया। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 1,100 रुपये टूटकर 12,550 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 1,100 रुपये की गिरावट के साथ 11,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 550 रुपये टूटकर 14,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ।

भाषा राजेश प्रेम

प्रेम

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