आरबीआई ने भुगतान ‘एग्रीगेटर’ के लिए नियमों का मसौदा जारी किया |

आरबीआई ने भुगतान ‘एग्रीगेटर’ के लिए नियमों का मसौदा जारी किया

आरबीआई ने भुगतान ‘एग्रीगेटर’ के लिए नियमों का मसौदा जारी किया

:   Modified Date:  April 17, 2024 / 06:59 PM IST, Published Date : April 17, 2024/6:59 pm IST

मुंबई, 17 अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान ‘एग्रीगेटर’ के लिए नियमों को और मजबूत बनाने के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया है। इसका उद्देश्य भुगतान परिवेश को और सुदृढ़ करना है।

भुगतान एग्रीगेटर वे मध्यस्थ इकाइयां हैं, जो ग्राहकों और कारोबारियों के बीच भुगतान को सुगम बनाती हैं।

मंगलवार देर शाम जारी दिशानिर्देशों के मसौदे के अनुसार, भुगतान एग्रीगेटर (पीए) की भौतिक रूप से ‘पॉइंट ऑफ सेल’ गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।

आरबीआई ने कहा कि डिजिटल लेनदेन में वृद्धि और क्षेत्र में भुगतान एग्रीगेटर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इस मामले में मौजूदा निर्देशों को अद्यतन करने का प्रस्ताव है। साथ ही अन्य बातों के साथ-साथ केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) और कारोबारियों की उचित जांच-परख, एस्क्रो खातों में संचालन को कवर करने का भी प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य भुगतान परिवेश को मजबूत करना है।

भारत में भुगतान परिवेश में ऑनलाइन ‘एग्रीगेटर’ और आमने-सामने भुगतान की सुविधा देने वाले भुगतान ‘एग्रीगेटर’ शामिल हैं।

मसौदे में केवाईसी और जांच-परख के बारे में कहा गया है कि भुगतान एग्रीगेटर को कारोबारियों को जोड़ते समय निर्धारित मानदंडों के अनुसार जांच-परख व्यवस्था अपनानी चाहिए। यह अपने ग्राहक को जानें, 2016 से जुड़े मूल दिशानिर्देशों में निर्धारित ग्राहक जांच परख (सीडीडी) व्यवस्था के अनुसार होना चाहिए।

आरबीआई ने मसौदे पर 31 मई, 2024 तक टिप्पणियां मांगी हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘भुगतान एग्रीगेटर यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा शामिल किए गए बिक्री की सुविधा देने वाले मार्केटप्लेस अपने मंच के माध्यम से पेश नहीं की जाने वाली सेवाओं के लिए राशि एकत्र नहीं करें और न ही उसका निपटान करें।’’

मसौदे के अनुसार, कार्ड का उपयोग कर आमने-सामने रहकर किये गये भुगतान लेन-देन के मामले में एक अगस्त, 2025 से कार्ड जारीकर्ताओं और/या कार्ड नेटवर्क के अलावा कार्ड लेनदेन/भुगतान श्रृंखला में कोई भी इकाई कार्ड से जुड़ी जानकारी (कार्ड ऑन फाइल) नहीं रखेंगे।

इसमें कहा गया है, ‘‘पहले से रखे गये ऐसे किसी भी आंकड़ों को समाप्त कर दिया जाएगा।’’

मसौदे के अनुसार, पीए-पी (भौतिक रूप से पॉइंट ऑफ सेल यानी आमने-सामने होने वाला भुगतान) सेवाएं देने वाले गैर-बैंकों के पास प्राधिकरण के लिए आरबीआई को आवेदन जमा करते समय न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2028 तक न्यूनतम नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये होना चाहिए।

उसके बाद हर समय 25 करोड़ रुपये की नेटवर्थ बरकरार रखना होगा।

भाषा रमण अजय

अजय

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)