सुपरटेक को प्रबंध निदेशक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने की अनुमति मिली |

सुपरटेक को प्रबंध निदेशक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने की अनुमति मिली

सुपरटेक को प्रबंध निदेशक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने की अनुमति मिली

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : September 22, 2021/7:00 pm IST

नयी दिल्ली 22 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को उसके प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा के खिलाफ एक उपभोक्ता अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के आदेश को चुनौती देने की मंजूरी दे दी है।

उच्च न्यायालय को बताया गया कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक मकान खरीदार की शिकायत के बाद मोहित अरोड़ा के खिलाफ 20 सितंबर को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

इससे पहले एनसीडीआरसी ने 13 सितंबर को सुपरटेक की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मकान खरीदार को बकाया राशि के भुगतान के संबंध में बारह महीने की किस्तें तय करने की मांग की गई थी।

न्यायधीश अमित बंसल ने कंपनी को एनसीडीआरसी के 13 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी लंबित याचिका को वापस लेने की भी अनुमति दी।

कंपनी के वकील ने न्यायालय से आग्रह किया कि लंबित याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाए ताकि अब एक नई याचिका के माध्यम से गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश पर रोक लगाई जा सके।

न्यायाधीश ने 20 सितंबर को जारी अपने आदेश में कहा कि आगे हुये घटनाक्रमों को देखते हुए कंपनी के अधिवक्ता ने मौजूदा याचिका को वापस लेने और एनसीडीआरसी द्वारा पारित आदेश (गिरफ्तारी वारंट जारी किये जाने) के खिलाफ एक और याचिका दायर करने का आग्रह किया है। याचिका को वापस लेने के रूप में खारिज किया जाता है।

एनसीडीआरसी के समक्ष आया यह मामला दरअसल एक मकान खरीदार की शिकायत से जुड़ा है, जिसने एक ‘विला’ के कब्जे में देरी को लेकर खरीदार की तरफ से शिकायत की गई थी। यह विला कंपनी के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिकी विकास क्षेत्र स्थित परियोजना में मिलना था जिसकी कीमत 1.02 करोड़ रुपये से अधिक थी।

एनसीडीआरसी ने अप्रैल 2019 में सुपरटेक को खरीदार को छह माह के भीतर विला की सुपुर्दगी की जाये और इसके साथ ही क्षतिपूर्ति भी दी जाये या फिर जितनी राशि उसे मिली है वह पूरी लौटा दी जाये। कंपनी के प्रबंध निदेशक ने 20 जुलाई को 60 दिन के भीतर आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया। लेकिन एनसीडीआरसी ने नोट किया कि 20 सितंबर तक आदेश का पालन नहीं हुआ। उसके बाद आयोग ने कंपनी के प्रबंध निदेशक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।

भाषा जतिन

महाबीर

महाबीर

 

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