कपास, सरसों की आवक काफी घटने से ज्यादातर तेल तिलहन के थोक दाम सुधरे |

कपास, सरसों की आवक काफी घटने से ज्यादातर तेल तिलहन के थोक दाम सुधरे

कपास, सरसों की आवक काफी घटने से ज्यादातर तेल तिलहन के थोक दाम सुधरे

:   Modified Date:  April 26, 2024 / 09:30 PM IST, Published Date : April 26, 2024/9:30 pm IST

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) देश की मंडियों में सरसों और कपास की आवक में भारी गिरावट के बीच शुक्रवार को सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तेल, बिनौला और पामोलीन तेल जैसे अधिकांश तेल तिलहन के दाम सुधार के साथ बंद हुए। जबकि महंगा होने की वजह से मूंगफली, डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग में सुस्ती के बीच सोयाबीन तिलहन, पामोलीन का आयात बढ़ने के बीच कच्चा पाामतेल (सीपीओ) के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज मजबूत बंद हुआ और यहां शाम का कारोबार बंद है। दूसरी ओर शिकागो एक्सचेंज में मामूली घट बढ़ चल रही है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बृहस्पतिवार के सवा सात लाख बोरी के मुकाबले मंडियों में सरसों की आवक घटकर लगभग पांच लाख बोरी रह गई। दूसरी ओर कपास की आवक में भी काफी कमी आई है। आवक घटने के कारण बाकी तेल तिलहनों की मांग बढ़ने से अधिकांश तेल तिलहन के दाम सुधार के साथ बंद हुए।

कपास की आवक घटने की मुख्य वजह नवंबर-दिसंबर में किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम दाम पर अपनी अधिकांश फसल बाजार में खपा देना है।

उन्होंने कहा कि आवक घटने से सरसों तेल तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में सुधार है। इसी की वजह से बाकी खाद्यतेलों की भी मांग है। इस बढ़ी हुई मांग के बीच सोयाबीन तेल कीमत में मामूली सुधार आया। लेकिन इस मामूली सुधार के बावजूद यह एमएसपी से नीचे दाम पर बिकना जारी है। मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत बंद होने के कारण पामोलीन तेल कीमत में सुधार है।

सूत्रों ने कहा कि किसानों से सस्ता खरीदने के बाद भी मूंगफली पेराई मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि पेराई के बाद सस्ते आयातित तेलों के थोक दाम कम होने के कारण मूंगफली तेल खप नहीं रहा है। डीओसी की सामान्य से कमजोर मांग के कारण सोयाबीन तिलहन और सीपीओ से पामोलीन बनाने में नुकसान रहने के बीच सीपीओ तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

उन्होंने कहा कि तेल तिलहन बाजार में इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि सरकार जल्द ही खाद्यतेलों की कमी को पूरा करने के लिए कदम उठायेगी। लेकिन इसमें इस बात के लिए सतर्क रहना होगा कि आयात किया गया खाद्यतेल तुरंत बाजार में खपाये जायें।

ऐसी आशंका है कि बड़ी कंपनियों वाले अत्यधिक मात्रा में खाद्यतेल आयात कर बंदरगाहों पर माल जमा कर लें और बाद में सरकार यदि आयात शुल्क बढ़ाये भी तो उन्हें इससे नुकसान ना पहुंचे बल्कि शुल्क वृद्धि की स्थिति का उन्हें फायदा ही मिले। अधिक आयात के कारण देशी तेल तिलहनों के लिए मुश्किलें और बढ़ने का खतरा है क्योंकि हमारे पास सरसों का स्टॉक अधिक होने और आगे खरीफ तिलहन की बिजाई होनी है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,225-5,265 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,725 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,235-2,500 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,700-1,800 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,700-1,815 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,025 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,375 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,775 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,175 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,750-4,770 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,550-4,590 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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