जांजगीर-चांपा, छह मई (भाषा) छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्रों में जीत से कांग्रेस को उम्मीद है कि वह लोकसभा चुनाव में इसे बरकरार रखेगी। इस सीट पर मंगलवार को मतदान होगा।
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र के सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों- अकलतरा, जांजगीर-चांपा, सक्ती, चंद्रपुर, जैजैपुर, पामगढ़ (एससी), बिलाईगढ़ (एससी) और कसडोल में उसे जीत मिली थी।
इसके साथ ही कांग्रेस ने राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 विधानसभा क्षेत्रों में से छह में जीत हासिल करने में सफल रही।
पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी एक बार फिर वही प्रदर्शन को दोहराएगी।
इस सीट पर कांग्रेस ने जांजगीर-चांपा में अपने प्रभावशाली एससी समुदाय के नेता और पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद गुहाराम अजगले को हटाकर एक महिला नेता कमलेश जांगड़े को टिकट दिया है।
डहरिया ने 2009 में इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे।
इस निर्वाचन क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी ने जिला पंचायत के पूर्व सदस्य डॉक्टर रोहित डहरिया को मैदान में उतारा है।
जांजगीर-चांपा क्षेत्र कृषि प्रधान है और 1998 में बिलासपुर जिले से अलग कर इसकी स्थापना की गई थी।
जीत का भरोसा जताते हुए जांजगीर-चांपा जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष विवेक सिंह सिसोदिया ने कहा कि जांजगीर-चांपा लोकसभा के लोग बढ़ती महंगाई और मोदी सरकार के तानाशाही रवैये से तंग आ चुके हैं और वे इस चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराएगी और जांजगीर-चांपा सीट जीतेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शिवकुमार डहरिया के लिए प्रचार किया था और उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया था।
कांग्रेस उम्मीदवार शिवकुमार डहरिया के नाम के ‘महत्व’ को समझाने की कोशिश करते हुए, खरगे ने कहा था, ‘ये राम का मुकाबला कर सकता है क्योंकि ये शिव हैं।’
भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी प्रशांत सिंह ठाकुर ने कहा, ”राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा सभी आठ विधानसभा क्षेत्रों में हार गई है, लेकिन वह लोकसभा सीट जीतेगी क्योंकि पारंपरिक रूप से इस क्षेत्र में मतदान का पैटर्न विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अलग रहा है।”
ठाकुर ने कहा, ”हमें महतारी वंदन (महिलाओं को मासिक वित्तीय सहायता), उच्च मूल्य पर धान की खरीद और विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा सरकार के गठन के केवल 100 दिनों में पूरी की गई अन्य गारंटी का लाभ मिलेगा। वहीं लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी पर भरोसा है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जांजगीर-चांपा में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में रैली को संबोधित किया था।
सत्ताधारी दल भाजपा को ‘मोदी की गारंटी’ पर भरोसा है, तो कांग्रेस को उम्मीद है कि ‘न्याय’ गारंटी के कारण लोग इस बार कांग्रेस को जीत दिलाएंगे।
जांजगीर-चांपा के मतदाताओं के मुताबिक औद्योगिक प्रदूषण और यात्री ट्रेनों का ‘असमान’ संचालन जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
जांजगीर-चांपा क्षेत्र औद्योगिक प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। एक सरकारी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर विवेक मोहन अग्रवाल ने कहा, ”यह न केवल मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है बल्कि जैव विविधता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।”
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर कोमल शुक्ला ने कहा कि क्षेत्र से एक लाख से अधिक लोग नौकरियों की तलाश में दूसरे राज्यों में चले गए हैं और यह उन प्रमुख मुद्दों में से एक है जिनसे क्षेत्र जूझ रहा है।
उन्होंने कहा कि अकलतरा, जांजगीर और चांपा विधानसभा क्षेत्रों में बिजली संयंत्रों से निकलने वाले फ्लाई ऐश और कोल वॉशरी से निकलने वाले पानी के कारण वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण का मुद्दा इस बार चुनाव पर असर डाल सकता है।
जांजगीर लोकसभा क्षेत्र पहले सामान्य क्षेत्र था। परिसीमन के बाद 2009 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर-चांपा क्षेत्र बन गया।
उसके बाद से भाजपा ने लगातार तीन बार 2009, 2014 और 2019 में इस सीट पर जीत हासिल की।
2019 में भाजपा के गुहाराम अजगले ने कांग्रेस के रवि भारद्वाज को 83,255 वोटों से हराया था। इससे पहले इस सीट पर भाजपा की कमला देवी पाटले दो बार 2009 और 2014 में जीत हासिल कर चुकी हैं। वर्ष 2009 में उन्होंने कांग्रेस के शिवकुमार डहरिया को हराया था जो इस बार फिर इस सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1984 में अविभाजित मध्य प्रदेश की जांजगीर सीट से लड़ा था। हालांकि उन्हें एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में 32,135 वोट मिले और वह कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ में तीसरे स्थान पर रहे।
भाजपा के दिग्गज नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव, जो जशपुर के पूर्व राजपरिवार से थे, ने 1989 में जांजगीर लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन 1991 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने 2004 में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के चरणदास महंत को हराकर जांजगीर सीट जीती थी।
इससे पहले, कांग्रेस के महंत ने 1998 और 1999 में दो बार यह सीट जीती थी। महंत राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और वह यूपीए-दो सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं।
भाषा सं संजीव
संतोष
संतोष
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