Dantewada garment brand DANNEX : रायपुर। छतीसगढ़ का नक्सल प्रभावित बस्तर का जिला दंतेवाड़ा नई मिसाल कायम कर रहा है। भूपेश सरकार की विशेष पहल से दंतेवाड़ा अब विकास का नया आयाम गढ़ रहा है। सीएम भूपेश बघेल के सकारात्मक निर्णय से बस्तर की संस्कृति और छत्तीसगढ़ में हो रहे नवाचार की गूंज अब पूरी दुनिया में सुनाई देने लगी है। आदिवासियों के त्यौहारों, संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने के लिए भूपेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा में अब महिलाओं की तरक्की की नई इबारत लिखी जा रही है। नक्सलवाद, पिछड़ापन और गरीबी का पर्याय बन चुके छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला रेडीमेड कपड़ों का हब बन गया है। भूपेश सरकार की पहल से यहां सरेंडर कर चुके नक्सलियों के परिवार की आदिवासी महिलाओं ने अपनी खुद की गारमेंट फैक्ट्री DANNEX खोली है। इसे ‘डैनेक्स’ यानी दंतेवाड़ा नेक्स्ट नाम दिया गया है। देश की बड़ी बड़ी कंपनियां ‘डैनेक्स’ के साथ जुड़ रही हैं। भूपेश सरकार द्वारा शुरू की गई ये कंपनी ‘डैनेक्स’ अब दंतेवाड़ा की शान बन गई है। वहीं सीएम बघेल द्वारा गरीब महिलाओं को रोजगार देकर उनके जीवन स्तर को सुधारा जा रहा है।
नक्सली हिंसा से प्रभावित दंतेवाड़ा में गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग धूम मचा रही है। भूपेश सरकार ने महिलाओं को आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए डैनेक्स के शुरू की। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए जिले में डैनेक्स नवा दंतेवाड़ा गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना की। विकासखंड गीदम अंतर्गत ग्राम पंचायत हारम में 31 जनवरी 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गई। फैक्ट्री के कपड़ों का ब्रांड DANNEX नाम से रजिस्टर्ड किया गया। डैनेक्स नाम दंतेवाड़ा नेक्स्ट की वजह से दिया गया है। छत्तीसगढ़ में सरेंडर कर चुके नक्सली अब नक्सल पीड़ित परिवारों के साथ मिलकर डैनेक्स टेक्सटाइल प्रिंटिंग फैक्ट्री चला रहे हैं।
वर्तमान में जिले में विभिन्न स्थानों हारम, कारली, बारसूर, कटेकल्याण एवं छिंदनार में कुल 05 जगह फैक्ट्री संचालित है। बस्तर उप-मंडल का एक हिस्सा, जिले में 33 प्रतिशत की कम साक्षरता दर और सीमित आजीविका के अवसर हैं। आय अर्जित करने के पारंपरिक साधन कृषि और लघु वनोपज का संग्रह है।
Dantewada garment brand DANNEX : डैनेक्स का अर्थ है दंतेवाड़ा नेक्स्ट। दंतेवाड़ा जिले में जिला प्रशासन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उदेश्य से नवा दंतेवाड़ा गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना की। इस फैक्ट्री को डेनेक्स नाम दिया गया। अब डैनेक्स ब्रांड के नाम से यहां कपड़ा तैयार होता है, जिससे महिलाओं को अच्छी आय हो रही है। ‘हारम’ में स्थापित पहली डेनेक्स फैक्टरी ने सफलता के कीर्तिमान गढ़ना शुरू कर दिया जिसके बाद बारसूर, कारली और कटेकल्याण ग्राम में भी डेनेक्स यूनिट स्थापित हुई।
भूपेश सरकार द्वारा शुरू की गई कटकल्याण और कारली में फैक्ट्री सेटअप का काम जारी है। प्रशासन का मानना है कि दंतेवाड़ा जिले में गारमेंट हब स्थापित होने से बेरोजगार युवाओं और युवतियों का माओवादियों के प्रति झुकाव रोकने में भी मदद मिलेगी। फैक्ट्री में काम कर रहीं सभी महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाली हैं, जिन्हें सिलाई और टेलरिंग का काम पहले से आता था, लेकिन उनके पास रोजगार का कोई स्थायी साधन नहीं था। उन्हें कपड़ों के औद्योगिक उत्पादन की कोई जानकारी नहीं थी। अब उनको प्रशिक्षण दिया गया है।
भूपेश सरकार द्वारा शुरू की गई डैनेक्स ब्रांड की गूंज विदेशों में भी सुनाई देने लगी है। यहां बनने वाले कपड़ों को खुद के ब्रांड के नाम से देशभर में सप्लाई किया जा रहा है। इससे महिलाओं को रोजगार के साथ आगे बढ़ने का मौका भी मिल रहा है। इसके लिए कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को सिलाई के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है। यहां तैयार होने वाले कपड़ों की लागत कम होने की वजह से महानगरों में बनने वाले कपड़ों की तुलना में इनकी मांग बढ़ रही है, जिससे रोजगार के नए आयाम विकसित हो रहे हैं। इस फैक्ट्री में अब शहरों की भी इच्छुक महिलाओं को रोजगार मिलेगा।
दंतेवाड़ा में इन दिनों रोजगार का अच्छा माहौल है। यहां कपड़ों के अलावा लघु वनोपज, हैंडीक्राफ्ट जैसे कई सारे उत्पाद दंतेवाड़ा में बन रहे हैं। ये सब भी डैनेक्स के नाम से ही जाने जाएंगे। डैनेक्स के कपड़ों का इस तरह मार्केटिंग किया जा रहा है—
सीआरपीएफ जवानों की वर्दी के लिए एमओयू।
एनएमडीसी कर्मचारियों के यूनिफार्म के लिए एमओयू।
ट्राइफेड से एमओयू, कपड़े की दूसरी कम्पनियों से भी एमओयू।
ई कॉमर्स के ज़रिए भी विक्रय के लिए कम्पनियों से टाइअप।
भूपेश सरकार द्वारा विकास की ओर अग्रसर होती ये नयी तस्वीर नक्सलगढ़ जिलों के लोगों की उम्मीद और उत्साह की झलक है। ये उत्साह रोजगार मिलने का और उम्मीदें तकदीर बदलने की है। लाल आतंक के गढ़ के लिए चर्चित दंतेवाड़ा की पहचान अब खुद की ब्रांड बन गई है। इस ब्रांड के कपड़े कोई और नहीं बल्कि गांवों की महिलाएं ही सिल रही हैं और ये अब अलग-अलग माध्यमों से देशभर के बाज़ारों में भेजे जा रहे हैं। बस्तरवासियों के लिए भूपेश सरकार का अब तक का सबसे बड़ा और सफल फैसला रहा है। बस्तरवासियों की गूंज अब देश विदेश तक सुनाई दे रही है।
Dantewada garment brand DANNEX : डेनेक्स फैक्ट्री से अब तक 12 लाख गारमेंट बनाकर विक्रय के लिए भेजे जा चुके हैं। यहां तैयार किए गए रेडीमेड कपड़ों की गुणवत्ता और उनकी डिजाइन ग्राहकों को लुभा रही है। इसी का नतीजा है कि कई बड़े मल्टीनेशनल स्टोर्स और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर भी इन कपड़ों की बड़ी डिमांड है। देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ कई अन्य देशों को भी यहां तैयार किए गए रेडीमेड गारमेंट निर्यात किए जा रहे हैं। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए इन कपड़ों से कंपनी को अब तक करीब 72 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। इस फैक्ट्री के माध्यम से करीब 1000 महिलाओं को सीधे रोजगार से जोड़ा गया है। अब तो मंत्रा पर भी ‘डैनेक्स’ दंतेवाड़ा के कपड़े बिक रहे हैं। बस्तर में तैनात सीआरपीएफ और अन्य पैरामिलिट्री फोर्स की तरफ से भी गारमेंट फैक्ट्री को वर्दियां ओर अन्य कपड़े सिलने के ऑर्डर मिल रहे हैं।