गृह मंत्री विजय शर्मा ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए कही ये बड़ी बात। Photo Credit: Photo Credit: IBC24 File
Vijay Sharma on Naxalism: रायपुर। नक्सलवाद को खत्म करने BJP सरकार ने नई रणनीति बना ली है। ऐसे में सशस्त्र हिंसा छोड़ने वालों को राज्य सरकार अपने पास बुलाएगी। बस्तर में ये लोग अपनी आपबीती बताएंगे। इस मामले पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, असम में बोडोलैंड का सशस्त्र आंदोलन चलता था। आज सारे लोग मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। आज इनमें से कई लोग सांसद और विधायक हैं। गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, तेलंगाना की महिला बाल विकास मंत्री कभी नक्सली थी। छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद को इनसे प्रेरणा मिलेगी।
कौन है तेलंगाना की महिला बाल विकास मंत्री
बता दें कि, तेलंगाना की मंत्री बनी डी. अनसूया सीताक्का की जीवन आसान नहीं रहा है। कोया जनजाति से आने वाली अनसूया सीताक्का कम उम्र में ही माओवादी आंदोलन में शामिल हो गई थी। वह उसी आदिवासी क्षेत्र में एक सक्रिय सशस्त्र गुट का नेतृत्व करने लगीं। कई बार उनकी पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हुई। सीताक्का ने एक मुठभेड़ में ही अपने पति और भाई को खो दिया।
पढ़ाई पूरी कर तेलुगु देशम पार्टी में हुईं शामिल
साल 1980 और 1990 की शुरुआत में बंदूकधारी माओवादी विद्रोही के रूप में सीताक्का जंगल में रहकर काम करती थीं। इसके बाद माओवादी आंदोलन से अलग होकर सीताक्का ने साल 1994 में एक माफी योजना के तहत पुलिस के सामने आत्मसर्पण किया, जिसके बाद उनके जीवन ने नया मोड़ ले लिया। इतना कुछ होने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लॉ की डिग्री हासिल कर वारंगल के एक कोर्ट में प्रैक्टिस भी कीं। बता दें कि, कोर्ट में प्रैक्टिस के कुछ समय बाद सीताक्का तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) में शामिल हो गईं।
2004 में मुलुग सीट से लड़ा पहला चुनाव
साल 2004 में सीताक्का ने मुलुग सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। पांच साल बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में सीताक्का ने मुलुग सीट पर जीत दर्ज कीं और विधायक बनी। फिर 2014 के विधानसभा चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहीं। साल 2017 में सीताक्का कांग्रेस में शामिल हुईं और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीआरएस की आंधी के बावजूद जीत हासिल की। बता दें कि, कोविड-19 महामारी के दौरान उनके निर्वाचन क्षेत्र के अलावा दूर-दूर तक उनके काम को सराहा गया था।
पॉलिटिकल साइंस में की PhD
मंत्री सीताक्का ने पिछले साल 2022 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में PhD पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद सीताक्का ने ट्वीटर वर्तमान में एक्स पर कहा था कि, जब मैं नक्सली थी तो कभी नहीं सोचा था कि वकील बनूंगी, जब वकील बनी तो कभी नहीं सोचा था कि मैं विधायक बनूंगी और जब विधायक बन गई तो कभी नहीं सोचा था कि पीएचडी कर पाऊंगी।