Mahila Aarakshan Bill 2023: रिटायर्ड IAS ने माना कि इस सत्र में पास हो जाएगा महिला आरक्षण बिल, बताया इस वजह से सफल होगी मोदी सरकार

Mahila Aarakshan Bill 2023 Kya Hain रिटायर्ड IAS ने माना कि इस सत्र में पास हो जाएगा महिला आरक्षण बिल, बताया इस वजह से सफल होगी मोदी सरकार

Mahila Aarakshan Bill 2023: रिटायर्ड IAS ने माना कि इस सत्र में पास हो जाएगा महिला आरक्षण बिल, बताया इस वजह से सफल होगी मोदी सरकार

Mahila Aarakshan Bill 2023 Kya Hain

Modified Date: September 19, 2023 / 06:26 pm IST
Published Date: September 19, 2023 6:26 pm IST

नई दिल्ली : संसद का विशेष सत्र जारी है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार ने आज दो बड़े कदम उठायें है। (Mahila Aarakshan Bill 2023 Kya Hain) पहला यह कि आज से सभी सदन ने नए पार्लियामेंट भवन में प्रवेश किया तो वही दूसरा कि सरकार ने संसद के पटल पर बहुप्रतीक्षित ‘महिला आरक्षण बिल’ भी पेश किया। उम्मीद है की इसी सत्र में यह बिल पास हो जाएगा। चुनावी साल में विपक्ष इस बिल को लेकर किसी तरह का नकारात्मक रुख अख्तियार करेगा इसकी गुंजाइश भी कम है। ऐसे में पीएम मोदी संसद के स्पेशल सेशन में विपक्ष को भी साधने में सफल रहेंगे।

Raigarh Bank Robbery : रायगढ़ एक्सिस बैंक में दिन दहाड़े 7 करोड़ की डकैती, CCTV में कैद हुई घटना…देखें 

इसी बीच सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकरी सुशिल त्रिवेदी का इस बिल को लेकर रुख सकारात्मक है। उनका मानना है कि इस सत्र में यह बिल आसानी से पास हो जाएगा। विधेयक में सभी बाते पुरानी है, लेकिन इस बार ये पास हो जायेगा। कई राज्यों में भाजपा की सरकार है, या फिर भाजपा समर्थित सरकार है। इसलिए पूरा विश्वास है की इस बार ये बिल पास हो जायेगा।

 ⁠

उमा भारती ने किया विरोध

इस पूरे बिल को लेकर अब सरकार को भाजपा के भीतर ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई है। एमपी की पूर्व सीएम और सांसद उमा भारती ने इस बिल का पुरज़ोर तरीके से विरोध किया है। उन्होंने इस बाबत दो पन्नो का खत प्रधानमंत्री को प्रेषित किया है। उमा भारती ने कहा है कि जब तक इस बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए प्रावधान नहीं होगा वह विरोध करती रहेंगी। 1996 में देवेगौड़ा सर्कार ने जब यह बिल पटल पर रखा था तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। उमा भारती ने मांग किया है कि इस विधेयक में एससी, एसटी के साथ ओबीसी की स्थिति स्पष्ट की जाएँ।

क्या है महिला आरक्षण बिल

महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है। उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था। लेकिन पारित नहीं हो सका था। यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था।

बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था। इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था। इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के ज़रिए आवंटित की जा सकती हैं।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें


लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown