Return of the hostage tribals of the state: कवर्धा। तमिलनाडु में 4 बैगा आदिवासी को बंधक बना लिया गया था। शिकायत के बाद 4 बैगा आदिवासी को मुक्त किया गया। इस मामले की संयुक्त कार्रवाई श्रम विभाग, बाल संरक्षण, राजस्व विभाग द्वारा की गई। इन 4 बैगा आदिवासियों को आज रात तमिलनाडु से छत्तीसगढ़ के लिए रवाना किया जाएगा।
दरअसल, ये सभी मजदूरी करने गए थे। जानकारी के अनुसार कवर्धा जिले के कुकदूर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत अमनिया के आश्रित गांव अमली टोला के रहने वाले 5 बैगा युवक तमिलनाडु में ठेकेदारों के चंगुल में फंस गए थे। उन्हें न तो पूरी मजदूरी मिल रही थी और न ही घर लौटने दिया जा रहा था।इन्हें वापस लाने के लिए पीड़ित परिजन ने थाने पहुंचकर गुहार लगाई। बता दें कि इससे पहले भी जांजगीर-चांपा के मजदूरों को जम्मू-कश्मीर में फंसाया गया था, जिसे में बाद में छुड़ाया गया।
जानें पूरा मामला
मिली जानकारी के मुताबिक ठेकेदारों से 7 हजार रुपए प्रतिमाह मजदूरी देने की बात हुई थी, लेकिन जो एजेंट उन्हें तमिलनाडु लेकर गए थे, वह मजदूरी के 2 हजार रुपए खुद ही रख लेता था। जब वापस घर जाने की बात कहते तो युवकों को डराया-धमकाया जाता था।
परिजनों ने घर वापस लाने की लगाई गुहार
Return of the hostage tribals of the state: पीड़ित युवकों ने मोबाइल के जरिए अपने परिजनों को आपबीती बताई। पीड़ित परिजन ने थाने पहुंचकर मामले की शिकायत करते हुए युवकों को वापस लाने गुहार लगाई। गौरतलब है कि पंडरिया ब्लॉक के वनांचल इलाके में कई ऐसे एजेंट सक्रिय हैं, जो स्थानीय बैगा-आदिवासियों को काम दिलाने के बहाने दीगर राज्यों में भेजते हैं।
कमीशन के चक्कर में ग्रामीणों को फंसाया
कमीशन के तौर पर मौटी रकम मिलने से ये भोले-भाले ग्रामीणों को फंसाते हैं। पूर्व में महाराष्ट्र के अकोला में बंधक बने पंडरीपानी गांव के 13 बैगा-आदिवासियों को वापस लाया गया था। इन सभी को एक एजेंट ने मिर्ची तोड़ाई का झांसा देकर दूसरे राज्य भेजा था। इससे पहले भी वर्ष 2018 में पलायन किए 30 श्रमिक आंध्रप्रदेश में बंधक थे, जिन्हें छुड़ाया गया था।