CG Sakti News: इस जिले में बंद हैं 85 परिवारों का हुक्का-पानी.. बहिष्कार ऐसा कि दूधवाला दूध नहीं देता.. नहीं हो पा रही जवान बेटे-बेटियों की शादी | sakti me samajik bahishkar news

CG Sakti News: इस जिले में बंद हैं 85 परिवारों का हुक्का-पानी.. बहिष्कार ऐसा कि दूधवाला दूध नहीं देता.. नहीं हो पा रही जवान बेटे-बेटियों की शादी

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Reported By: Netram Baghel

Modified Date:  February 24, 2024 / 09:22 PM IST, Published Date : February 24, 2024/9:22 pm IST

सक्ती: आज भले ही हम 21 वी सदी में जी रहे है। लेकिन आज भी कुछ ऐसी बुराइयां है जो इंसानों का पीछा नहीं छोड़ रही है। इन सब बुराइयों में से एक हैं सामाजिक बहिष्कार। ऐसे ही सामाजिक बहिष्कार का सामना पिछले 3 सालो से सक्ती कलेक्ट्रेट से लगे ग्राम पंचायत सकरेली बाराद्वार के आश्रित ग्राम आमदहरा के लगभग 80 गरीब आदिवासी परिवारो को झेलना पड़ रहा है। आलम यह है कि इन परिवारों के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। इनके ही समाज के लोग इनसे बात करना नहीं चाहते और न ही इनसे कोई किसी भी प्रकार का लेनदेन करना चाहता है। दूध वाला इनको दूध नहीं देता और सब्जी वाला इनको सब्जी बेचने से इंकार कर देता है।

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ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव आमदहरा में 3 वर्ष पहले शासकीय भूमि में भुनेश्वर कंवर जो कि प्रोफेसर है। उनके द्वारा गांव के चौक के पास अवैध मकान निर्माण करवाया जा रहा था। जिसकी शिकायत के बाद जांच हुई। जांच में शिकायत सही पाए जाने पर शासन प्रशासन ने उनके अवैध कब्जे को तोड़ दिया। जिसको लेकर भुनेश्वर कंवर तिलमिला उठा और अपने अच्छे पहचान का गलत उपयोग करते हुए कंवर खालसा समाज के पदाधिकारियों के साथ मिलकर लगभग 85 परिवारों को समाज से बहिष्कृत करवा दिया।

इस तरह से छत्तीसगढ़ के सक्ती में जिला प्रशासन का सुस्त रवैया लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। शिकायत के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा सुध न लेना अब आम बात हो गई है। समाज से बहिष्कृत जैसे संवेदनशील मामलों को भी जिला प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा है, हांलाकि नए पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आने के बाद पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच कराने की बात कही है।

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ग्रामीणों ने आगे बताया कि जब से वे समाज से बहिष्कृत किए गए है। तब से न तो उनसे कोई रिश्ता रखना चाहते है और न ही उन्हें किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में बुलाया जाता है। ग्रामीणों ने नम आँखों से बताया कि हम अपने माता-पिता के मरने पर भी अपने रिश्तेदारों के यहां नहीं जा सकते। अगर हम उनके घर गए तो उनको भी समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। साथ ही अर्थदंड भी लिया जाएगा। प्रदेशिक स्तर से समाज से बाहर होने के वजह से उनके जवान योग्य बेटे-बेटियों की शादी भी नहीं हो रही है। क्योंकि पूरे प्रदेश भर में सामाजिक बहिष्कृत होने के वजह से इनसे कोई रिश्ता ही नहीं रखना चाहते हैं।