Swami Vivekananda spent three years at Dey Bhawan in Raipur

युवा दिवस विशेष: राजधानी रायपुर से रहा स्वामी विवेकानंद का गहरा नाता, इस घर में बीता था बचपन, आज भी सुरक्षित है उनके उपयोग की सामाग्री

राजधानी रायपुर से रहा स्वामी विवेकानंद का गहरा नाताः Swami Vivekananda spent three years at Dey Bhawan in Raipur

Edited By :   Modified Date:  January 12, 2023 / 05:52 PM IST, Published Date : January 12, 2023/4:06 pm IST

Swami Vivekananda spent 3 years in Raipur स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है। विवेकानंद जी की जयंती को देश युवा दिवस के तौर पर मनाता है। स्वामी विवेकानंद का नाम इतिहास में एक ऐसे विद्वान के रूप में दर्ज है, जिन्होंने मानवता की सेवा को अपना सर्वोपरि धर्म माना। अमेरिका के शिकागो में धर्मसभा में अपने धाराप्रवाह भाषण से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आए भारतीय संन्यासी स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को बंगाल में हुआ था। स्वामी विवेकानंद अपने ओजपूर्ण और बेबाक भाषणों के कारण काफी लोकप्रिय हुए।

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Swami Vivekananda spent 3 years in Raipur स्वामी विवेकानंद का नाता छत्तीसगढ़ से भी रहा है। उन्होंने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण वर्ष छत्तीसगढ़ की धरा पर बिताए हैं। स्वामी विवेकानंद 1877 में अपने पिता के साथ राजधानी रायपुर आए हुए थे। दरअसल, स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त रायपुर में काम करते थे। उनके यहां रहने के दौरान 1877 में 14 साल के नरेंद्र नाथ दत्त भी रायपुर आए। उनके साथ उनकी मां भुवनेश्वरी देवी, उनके छोटे भाई महेंद्र नाथ दत्त और बहन जोगेंद्र बाला भी थीं। विश्वनाथ दत्त का परिवार इसी डे-भवन नाम की इमारत में 1879 तक रहा। इस दौरान उन्होंने पिता से खाना बनाना सीखा। संगीत शिक्षा, सतरंज और तैराकी भी यहीं से शुरू हुई। नरेंद्र यहां के बूढ़ातालाब में नहाने जाते रहे। अब इस तालाब को विवेकानंद सरोवर कहा जाने लगा है। बाद में यह परिवार कोलकाता चला गया।

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आज भी संरक्षित है विवेकानंद के द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं

Swami Vivekananda spent 3 years in Raipur स्वामी विवेकानंद ही बचपन में राजधानी की मालवीय रोड से बूढ़ा तालाब की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित डे भवन में ही दिन-रात बिताया और पढ़ाई की। इतिहासकारों की मानें तो इस मकान में आज भी उनकी उपयोग की गई वस्तुएं सुरक्षित हैं। इस कमरे में जब वे आए थे, तबसे यहां लकड़ी का पाटा, कुर्सी और एक मिरर रखा हुआ है। लकड़ी के पाटे पर ही स्वामीजी विश्राम करते थे। ये तीनों चीजें आज भी उसी स्थिति में है।

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स्वामी विवेकानंद के आधारभूत सिद्धांत

  • ज्ञान व्यक्ति के मन में विद्यमान है और वह स्वयं ही सीखता है।
  • मन, वचन और कर्म की शुद्ध आत्मा नियंत्रण है।
  • शिक्षा से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास होता है।
  • लड़के और लड़कियां दोनों को समान शिक्षा मिलने का अधिकार होना चाहिए।
  • स्त्रियों को विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • जनसाधारण में शिक्षा का प्रचार किया जाना चाहिए।