चुनावी सभाओं में कोरोना गाइड का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने 9 कलेक्टरों और एसपी को भेजा नोटिस

चुनावी सभाओं में कोरोना गाइड का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने 9 कलेक्टरों और एसपी को भेजा नोटिस

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  • Publish Date - October 29, 2020 / 04:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

ग्वालियर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता एडवोकेट आशीष प्रताप सिंह ने चुनाव आयोग दिल्ली सहित मध्यप्रदेश के नौ जिलों के कलेक्टर व SP को नोटिस भेजा है।

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लीगल नोटिस में चुनावी सभाओं में कोरोना गाइड के उल्लंघन की बात लिखी है।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश उपचुनाव में वर्चुअल चुनाव प्रचार के मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है। चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा वह कोरोना महामारी को देखते हुए उचित कदम उठाए। दरअसल, मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक विधानसभा उपचुनावों में प्रचार के लिए सीमित संख्या के साथ लोगों के बीच राजनीतिक सभा के लिए दी गई अनुमति पर रोक लगा दी थी। उपचुनाव में हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए चुनाव आयोग गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। मध्यप्रदेश में कुल 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए तीन नवंबर को मतदान होना है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्टूबर के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी। इससे पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने अपने आदेश में राजनीतिक दलों को भौतिक सभाओं से रोक दिया था, जब तक कि उन्हें जिलाधिकारियों और चुनाव आयोग से यह प्रमाणित नहीं किया गया हो कि वर्चु्अल चुनाव अभियान संभव नहीं है। अगर भौतिक सभा करने की इजाजत मिल भी जाती है तो, राजनीतिक दल को इसके लिए धन राशि जमा कराने की आवश्यकता होगी। यह धन राशि “सभा में अपेक्षित लोगों की संख्या की सुरक्षा और सैनेटाइजेशन के लिए जरूरी मास्क और सैनेटाइजर की दोगुनी खरीद करने के लिए पर्याप्त” होनी चाहिए।

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बता दें कि उपचुनाव में कुछ चुनिंदा सभाओं को लेकर हाईकोर्ट ने कहा था कि “चुनाव प्रचार में लोकप्र‌ियता पाने के परम उद्देश्य से अधिक से अधिक और बड़ी सभाओं को संचालन करना राजनीतिक दलों का साझा एजेंडा प्रतीत होता है। यह स्पष्ट रूप से देश के उन भोले और निर्दोष नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन की कीमत पर किया जाता है, जो समाज के निचले तबके से आते हैं और जो इस तरह की सभाओं में शामिल होने से जीवन को होने वाले खतरों से अनजान हैं।”