नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोई भी लोकतंत्र तब तक सार्थक और आकांक्षी नहीं हो सकता जब तक कि वह सभी नागरिकों के लिए समावेशी, बिना किसी डर या पक्षपात के सुलभ और विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक कमजोरियों के बावजूद सहभागी ना हो।
कुमार ने यह भी कहा कि वैश्विक मूल्यांकन एजेंसियों द्वारा लोकतंत्रों के मूल्यांकन और ‘‘तथाकथित रैंकिंग’’ के लिए रूपरेखा वस्तुनिष्ठ और प्रासंगिक होनी चाहिए, जहां परिमाण, सामाजिक-सांस्कृतिक तथा भौगोलिक संदर्भ में प्रत्येक देश और चुनाव प्रबंधन निकाय कार्य करते हैं।
भारत में चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1971 के चुनावों के बाद से भारत में महिला मतदाताओं की संख्या में 235.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुमार ने ‘एशियन रीजनल फोरम’ की डिजिटल तरीके से आयोजित बैठक में ‘‘हमारे चुनावों को समावेशी, सुलभ और सहभागी बनाना’’ विषय पर संबोधित किया।
निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सभी चुनाव प्रबंधन निकायों से नागरिकों की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने और चुनावी प्रक्रिया के दौरान उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी प्रणाली को मजबूत करने को लेकर निरंतर स्व-मूल्यांकन करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने कहा कि पहुंच के मुद्दे सार्वभौमिक हैं और हाशिए के अधिकतर समूहों को चुनावों में उनकी भागीदारी के लिए बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो कि कोविड-19 महामारी से और बढ़ी है।
भाषा आशीष माधव
माधव
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