नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने मंगलवार को कहा कि जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड के भारत के पहले एमआरएनए-आधारित कोविड-19 टीके एचजीसीओ19 के दूसरे/तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण को मंजूरी दे दी गई है।
पुणे स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी जेनोवा ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को वैक्सीन के पहले चरण के अध्ययन का अंतरिम नैदानिक डेटा प्रस्तुत किया था।
वैक्सीन सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने पहले चरण के अंतरिम आंकड़ों की समीक्षा की और पाया कि अध्ययन में शामिल लोगों के लिये टीका सुरक्षित, सहनीय और प्रभावकारी रहा।
एमआरएनए संक्रामक रोगों के बचाने के नए प्रकार के टीके हैं। ये टीके हमारी कोशिकाओं को सिखाते हैं कि प्रोटीन कैसे बनाया जाता है, जो हमारे शरीर के अंदर एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है।
जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड के सीईओ संजय सिंह ने कहा, ”एमआरएनए पर आधारित हमारे कोविड-19 टीके एचजीसीओ19 को पहले चरण में सुरक्षित पाए जाने के बाद, जेनोवा का ध्यान दूसरे/तीसरे चरण का निर्णायक नैदानिक परीक्षण शुरू करने पर है।”
डीबीटी की सचिव और बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्रियल रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) की अध्यक्ष रेणु स्वरूप ने कहा कि यह देश के स्वदेशी वैक्सीन विकास मिशन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, और यह कोरोना वैक्सीन के विकास मामले में विश्व पटल पर भारत की स्थिति मजबूत करेगा।
भाषा जोहेब नरेश
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