जीवन के उतार-चढ़ाव से हार न मानने वाले बाबुल सुप्रियो ने बालीगंज सीट जीतकर वापसी की |

जीवन के उतार-चढ़ाव से हार न मानने वाले बाबुल सुप्रियो ने बालीगंज सीट जीतकर वापसी की

जीवन के उतार-चढ़ाव से हार न मानने वाले बाबुल सुप्रियो ने बालीगंज सीट जीतकर वापसी की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : April 16, 2022/8:40 pm IST

कोलकाता, 16 अप्रैल (भाषा) गायक से राजनेता बने बाबुल सुप्रियो का जीवन बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कभी कोलकाता शहर में एक बैंककर्मी के तौर पर कार्यरत रहे सुप्रियो की बाबा रामदेव से हुई एक मुलाकात उन्हें राजनीति में लाने व इसमें मुकाम हासिल करने वाली रही। वह 2014 में लोकसभा चुनाव में जीत हासिलकर भाजपा नीत केंद्र सरकार में मंत्री बने। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में टॉलीगंज सीट से 50 हजार मतों के बड़े अंतर से हारने के बाद अचानक उन्होंने खुद को अलग-थलग पाया।

हालांकि सुप्रियो ने अपनी नई पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के टिकट पर शनिवार को प्रतिष्ठित बालीगंज सीट से चुनाव जीतकर एक बार फिर वापसी की है। वह पिछले साल सितंबर में टीएमसी में शामिल हुए थे। सुप्रियो ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी माकपा प्रत्याशी सायरा शाह हालिम को 20 हजार से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया, जबकि तीसरा स्थान भाजपा उम्मीदवार केया घोष को मिला।

सुप्रियो का जन्म पश्चिम बंगाल के उत्तरपारा में वर्ष 1970 में सुप्रिया बराल के रूप में हुआ था। उन्होंने गायक बनने के लिए बॉलीवुड में किस्मत आजमाने का फैसला किया और बैंक की नौकरी छोड़ दी।

हिंदी प्लेबैक गायक के रूप में सफल रहने के बाद सुप्रियो ने राजनीति में प्रवेश किया और भाजपा के टिकट पर वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने टीएमसी की डोला सेना को आसनसोल से पराजित किया और वह केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री बने।

सुप्रियो को बाबा रामदेव की सिफारिश पर लोकसभा का टिकट मिला था। सुप्रियो को बाबा रामदेव से मुलाकात करने का अवसर एक विमान यात्रा के दौरान मिला था।

दो साल बाद वर्ष 2016 में सुप्रियो को भारी उद्योग एवं जन उद्यम मंत्रालय मिल गया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने टीएमसी की मुनमुन सेन को 1.97 लाख के बड़े अंतर से पराजित किया।

इस बार सुप्रियो को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। इसके बाद सुप्रियो को भाजपा ने अप्रैल 2021 में टॉलीगंज विधानसभा सीट से तीन बार के तृणमूल विधायक अरूप बिस्वास के खिलाफ मैदान में उतारा।

इस चुनाव में दो बार के भाजपा सांसद सुप्रियो ने बिस्वास की ‘तानाशाही’ खत्म करने का ऐलान वादा किया, लेकिन इस बार वह 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गये।

इसके बाद सुप्रियो और भाजपा के रिश्ते में कड़वाहट आने लगी और अंतत: उन्हें केंद्रीय कैबिनेट से बाहर कर दिया गया। इसके बाद 50 वर्षीय गायक की पहली सहज प्रतिक्रिया यह थी कि वह मंत्रिपरिषद से हटाए जाने के बाद राजनीति ‘छोड़’ देंगे।

हालांकि टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और महासचिव अभिषेक बनर्जी से मिले प्रस्ताव के बाद सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया।

भाषा संतोष पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)