बालीगंज की हार असल में वाम मोर्चे के लिए उम्मीद की किरण है : हलीम |

बालीगंज की हार असल में वाम मोर्चे के लिए उम्मीद की किरण है : हलीम

बालीगंज की हार असल में वाम मोर्चे के लिए उम्मीद की किरण है : हलीम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : April 16, 2022/9:18 pm IST

कोलकाता, 16 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल में बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में हार का सामना करने वाली माकपा उम्मीदवार साइरा शाह हलीम ने शनिवार को कहा कि चुनाव नतीजे में बेशक टीएमसी के बाबुल सुप्रियो से वाम मोर्चे को हार मिली है लेकिन यह उसके लिए उम्मीद की किरण है क्योंकि 2021 में विधानसभा चुनाव के बाद से उसका मत प्रतिशत पांच गुना तक बढ़ा है।

माकपा को 2021 के चुनाव में इस प्रतिष्ठित सीट पर केवल 5.61 प्रतिशत मत मिले थे जो उपचुनाव में बढ़कर 30 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जिससे भारतीय जनता पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गयी है।

हलीम ने इस सीट के नतीजे घोषित होने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वाम मोर्चा बहुत खुश है क्योंकि यह उनके लिए उम्मीद की किरण है क्योंकि भाजपा और टीएमसी के बीच बनाया गया जोड़-तोड़ पूरी तरह टूट गया है।’’

सुप्रियो ने अपनी निकटम प्रतिद्वंद्वी हलीम को 20,228 मतों के अंतर से हराया है।

शिक्षिका हलीम ने कहा कि माकपा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी है और जो धारणा बनायी गई थी कि टीएमसी और भाजपा ही एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी है, उसे बालीगंज सीट पर नतीजे के बाद झटका लगा है।

उन्होंने विश्वास जताया कि भविष्य के चुनावों में वाम मोर्चा और मजबूत बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जीत की उम्मीद थी लेकिन राज्य का पूरा तंत्र सत्तारूढ़ पार्टी के साथ है।’’

हलीम ने दावा किया कि टीएमसी उनकी उम्मीदवारी और नागरिक समाज के एक वर्ग से उन्हें मिले समर्थन से व्याकुल थी।

माकपा ने 2001 में इस सीट से जीत दर्ज की थी और 2021 में वह तीसरे स्थान पर रही। उस समय हलीम के पति फुआद हलीम ने इस सीट से चुनाव लड़ा था।

भाषा गोला माधव

माधव

 

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