नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोगों तक कांग्रेस की “घर-घर गारंटी” संपर्क पहल को रिश्वतखोरी के समान भ्रष्ट आचरण बताया और निर्वाचन आयोग से इसे रोकने का मंगलवार को आग्रह किया।
भाजपा ने कहा कि यह अभियान तीन अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुरू किया था और उसके कार्यकर्ता लोगों के बीच “गारंटी कार्ड” वितरित कर रहे हैं तथा उन्हें पार्टी के वादे के अनुसार लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र दे रहे हैं।
निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत में भाजपा ने कहा, “गड़बड़ी और अधिक स्पष्ट है जब कार्ड पर आधिकारिक अनुमोदन के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे, के हस्ताक्षर हैं।”
सत्तारूढ़ पार्टी ने दावा किया कि इस तरह की पहल मतदाताओं के विश्वास में हेरफेर करने और गारंटी कार्डों को “मुफ्त, उदार और काल्पनिक वादों” के लिए वैध साधन के रूप में गलत तरीके से पेश करने के समान है।
इसमें कहा गया, “ऐसी प्रथाओं को अनुमति देना खुले तौर पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के सिद्धांतों का खंडन करता है, और एक मिसाल कायम करता है जहां केवल पंजीकृत राजनीतिक समर्थक ही सरकारी योजनाओं के हकदार हो सकते हैं, बाकी नहीं।”
भाजपा ने आदर्श आचार संहिता और भारतीय दंड संहिता का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी दल का ऐसा अभियान भ्रष्ट आचरण और रिश्वतखोरी के तहत आता है।
पार्टी ने निर्वाचन आयोग से कहा, “कांग्रेस को ‘गारंटी कार्ड’ या ऐसी किसी भी सामग्री के प्रकाशन, प्रसार और वितरण से तुरंत रोका जाए, जिसका उद्देश्य चुनावी रिश्वतखोरी को बढ़ावा देना और मतदाताओं को लुभाना है।”
इसमें कार्ड बांटने वाले कांग्रेस सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी मांग की गई।
उसने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पिछले साल राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को रिश्वत देने और गुमराह करने के लिए इसी तरह का “छद्म अभियान” चलाया था। भाजपा ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने उस समय मामले को “गंभीरता से” लिया था।
एक अन्य शिकायत में, भाजपा ने चुनाव निकाय से आंध्र प्रदेश में मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक सहित कई अधिकारियों को तुरंत स्थानांतरित करने और कार्यमुक्त करने का आग्रह किया जिनका “राजनीतिक जुड़ाव” है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं।
पार्टी ने दक्षिणी राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए कई अन्य मांगें भी की।
भाषा प्रशांत अविनाश
अविनाश
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