बजट आर्थिक वृद्धि में पर्याप्त तेजी लाने में असमर्थ : सुभाष चंद्र गर्ग |

बजट आर्थिक वृद्धि में पर्याप्त तेजी लाने में असमर्थ : सुभाष चंद्र गर्ग

बजट आर्थिक वृद्धि में पर्याप्त तेजी लाने में असमर्थ : सुभाष चंद्र गर्ग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : February 6, 2022/3:40 pm IST

(राधा रमण मिश्रा)

नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का मानना है कि वित्त मंत्री के बजट भाषण में इस बार नीतियों का अभाव दिखा और पुनर्वितरण तथा वद्धि दोनों मोर्चों पर व्यय प्रस्ताव भी पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि अधिक पूंजीगत व्यय का आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने वाले प्रमुख उपाय के रूप में उल्लेख किया जा रहा है लेकिन वास्तव में इसमें कोई वृद्धि हुई ही नहीं है।

उनका यह भी कहना है कि बजट रोजगार के मामले में तटस्थ है और निजी क्षेत्र में रोजगार सृजित करने के मकसद से कोई पहल नहीं की गयी है। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट को लेकर गर्ग से ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब:

सवाल: पूर्व वित्त सचिव के रूप में आप बजट को कैसे देखते हैं? क्या यह देश के लिए जरूरी आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दे पाएगा?

जवाब: बजट देश के समक्ष सरकार के व्यय कार्यक्रम (केंद्र सरकार 2022-23 में एक बड़ी राशि करीब 40 लाख करोड़ खर्च करेगी) और आर्थिक, वित्तीय, घाटा तथा कर नीतियों को सामने रखने का अवसर होता है। व्यय मुख्य रूप से तीन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होता है- क. पर्याप्त सार्वजनिक सामान और सेवाएं जैसे रक्षा, स्वस्थ वातावरण आदि प्रदान करना, ख. गरीब, जरूरतमंदों और वंचित लोगों को आय तथा वस्तुओं तथा विभिन्न प्रकार की अन्य सहायता प्रदान करना और ग. अर्थव्यवस्था की वृद्धि में निवेश। वित्त मंत्री के बजट भाषण में इस बार नीतियों का अभाव था। पुनर्वितरण और वृद्धि दोनों मोर्चों पर व्यय प्रस्ताव पर्याप्त नहीं है। अधिक पूंजीगत व्यय का आर्थिक वृद्धि बढ़ाने वाले प्रमुख उपाय के रूप में उल्लेख किया जा रहा है लेकिन वास्तव में पूंजीगत व्यय में कोई वृद्धि हुई ही नहीं हुई है, जिसका जिक्र मैंने सार्वजनिक रूप से किया है। मुझे इस बात का संदेह है कि बजट अर्थव्यवस्था की वृद्धि को गति देने के लिए कुछ खास करेगा।

सवाल: क्या आपको लगता है कि यह बजट आकांक्षी यानी अच्छी नौकरी चाहने वाले युवाओं के लिए पर्याप्त संख्या में रोजगार सृजित करेगा? आम आदमी और वेतनभोगियों के हिसाब से आप इस बजट को कैसे देखते हैं?

जवाब: मनरेगा के लिए आबंटन में कमी है लेकिन मांग होने पर इसे बढ़ाया जा सकता है। इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि बजट रोजगार के मामले में तटस्थ है। चूंकि निजी क्षेत्र में रोजगार सृजित करने के मकसद से कोई उपाय नहीं किए गए हैं, ऐसे में आकांक्षी युवाओं को स्टार्टअप जैसे नए क्षेत्रों और सेवा क्षेत्र में रोजगार पाने के लिए जरूरत के हिसाब कुशलता हासिल करनी होगी यानी हुनरमंद बनाना होगा। वे उपयुक्त शिक्षा हासिल कर अच्छे वेतन पर देश और विदेश में अच्छी नौकरी हासिल कर सकते हैं। इसी तरह नौकरीपेशा लोगों के लिए भी बजट में कुछ खास नहीं है।

सवाल: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता दी और राजकोषीय घाटे को काबू में लाने को लेकर ज्यादा चिंता नहीं की। क्या आपको लगता है कि मौजूदा स्थिति में यह सही सोच है? अगर सरकार की उधारी बढ़ती है, इससे निजी निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है?

जवाब: मुझे बढ़ते राजकोषीय घाटे (संशोधित अनुमान में 2021-22 में 6.9 प्रतिशत) को लेकर चिंता है। बांड बाजारों में पहले से ही बिकवाली हो रही है। एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। ऐसे में, सरकार के लिए कम लागत पर कर्ज जुटाना कठिन होगा। वर्ष के दौरान निश्चित रूप से निजी क्षेत्र को उधारी को लेकर समस्या हो सकती है।

सवाल: सरकार का क्रिप्टो करंसी पर कर लगाने का प्रस्ताव क्या इसे उभरते संपत्ति वर्ग के रूप में मान्यता देने की दिशा में कदम तो नहीं है? सरकार ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा का भी प्रस्ताव किया है। क्या यह उपयुक्त कदम है?

जवाब: क्रिप्टो करंसी आय पर कर लगाने का प्रस्ताव स्वागत योग्य है। इससे कर प्राधिकरण और निवेशकों दोनों के लिए चीजें साफ होंगी। लेकिन एक प्रतिशत स्रोत पर कर कटौती (एक सीमा से अधिक लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस) लगाने से समस्या उत्पन्न होगी। मुझे लगता है कि अल्प अवधि में क्रिप्टो संपत्ति के निवेशकों के लिए मुश्किलें होंगी। ब्लॉकचेन क्रिप्टोग्राफी प्रौद्योगिकी आधारित कंपनियों, संपत्तियों और आय को लेकर पूर्ण वैधता तभी होगी, जब सरकार सभी प्रकार के क्रिप्टो संबंधित कारोबार और संपत्ति सृजन का कार्य करनेवाले विकेंद्रित स्वायत्त संगठनों (डीएओ) के लिए उपयुक्त कानून बनाएगी।

डिजिटल रुपया जारी करने के लिए आरबीआई को अधिकार प्रदान करने का प्रस्ताव सरकार के इरादे को लेकर फिलहाल एक बयान मात्र है। अभी ऐसे कई मुद्दे हैं जिनका समाधान आरबीआई द्वारा डिजिटल मुद्रा जारी करने से पहले करना होगा। मुझे लगता है कि खुदरा डिजिटल मुद्रा अभी दूर की चीज है।

सवाल: वित्त वर्ष 2022-23 के सामाजिक क्षेत्र के लिए व्यय आबंटन और सब्सिडी में कमी के बारे में आपकी क्या राय है?

जवाब: खाद्य सब्सिडी में कमी (2.86 लाख करोड़ रुपये कम कर 2.07 लाख करोड़ रुपये) यह संकेत देती है कि सरकार 31 मार्च, 2022 के बाद पांच किलो मुफ्त राशन देने की योजना आगे नहीं बढ़ाएगी। बजट प्रस्ताव से यह साफ नहीं है कि एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) के गोदामों में भरे हुए अनाज की आर्थिक लागत को कैसे पूरा करेगी। सामाजिक क्षेत्रों में बजट आबंटन में कोई वृद्धि नहीं की गयी है।

भाषा रमण नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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