कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीरभूम में हुई हत्याओं पर आदेश सुरक्षित रक्षा |

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीरभूम में हुई हत्याओं पर आदेश सुरक्षित रक्षा

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीरभूम में हुई हत्याओं पर आदेश सुरक्षित रक्षा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : March 24, 2022/8:26 pm IST

कोलकाता, 24 मार्च (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आठ लोगों की मौत के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं के साथ एक स्वत: संज्ञान याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया।

राज्य ने सीबीआई या एनआईए जांच के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच कर रहा है और उसे समय दिया जाना चाहिए।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत अधिकारी की हत्या के कथित तौर पर विरोध स्वरूप मंगलवार तड़के बोगतुई गांव में करीब एक दर्जन झोपड़ियों में आग लगा दी गई जिसमें दो बच्चों समेत आठ लोगों की मौत हो गई।

दो दिन तक सभी पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि वह दलीलों पर विचार के बाद आदेश पारित करेगी।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने कहा कि सीबीआई या एनआईए जांच शुरू करने के लिए तैयार हैं यदि उच्च न्यायालय इस आशय का आदेश पारित करता है।

उन्होंने अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल), दिल्ली से सात सदस्यीय टीम बृहस्पतिवार की शाम को कोलकाता पहुंचेगी और बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में अपराध स्थल से नमूने एकत्र करने के लिए आगे बढ़ेगी, जैसा कि पीठ ने पूर्व में आदेश दिया था।

दस्तूर ने कहा कि उन्हें सीआरपीएफ कर्मी सुरक्षा प्रदान करेंगे।

महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने अदालत के निर्देश के मुताबिक इस मामले के सिलसिले में दर्ज आपरिधाक मामले की केस डायरी और की जा रही जांच की रिपोर्ट पेश की।

महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ताओं द्वारा मामले को सीबीआई या एनआईए को स्थानांतरित करने की प्रार्थना का विरोध किया और अपने तर्क के समर्थन में विभिन्न अदालतों के कई पुराने फैसलों का हवाला दिया।

मुखर्जी ने बताया कि बुधवार को पीठ के आदेश के अनुसार अपराध स्थल पर 31 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के नियंत्रण वाली एजेंसी के अलावा किसी अन्य एजेंसी से जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि अगर सीबीआई या एनआईए को तुरंत जांच का आदेश नहीं दिया गया तो सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना है।

भाषा

प्रशांत अनूप

अनूप

 

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