केंद्र ने न्यायालय में कहा, राज्यों का कर्ज देश की 'क्रेडिट रेटिंग' को प्रभावित करता है |

केंद्र ने न्यायालय में कहा, राज्यों का कर्ज देश की ‘क्रेडिट रेटिंग’ को प्रभावित करता है

केंद्र ने न्यायालय में कहा, राज्यों का कर्ज देश की 'क्रेडिट रेटिंग' को प्रभावित करता है

:   Modified Date:  February 7, 2024 / 02:53 PM IST, Published Date : February 7, 2024/2:53 pm IST

नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) राज्यों के लिए ऋण लेने की सीमा निर्धारित करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि राज्यों द्वारा अनियंत्रित उधार लेने से समूचे देश की ‘क्रेडिट रेटिंग’ और वित्तीय स्थिति प्रभावित होगी।

कर्ज सीमा तय करने के खिलाफ केरल की याचिका पर दाखिल जवाब में केंद्र ने यह भी कहा कि राज्य की राजकोषीय स्थिति में कई खामियां पाई गयी हैं।

शीर्ष अदालत के समक्ष दाखिल हलफनामे में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी ने दलील दी कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन एक राष्ट्रीय मुद्दा है।

वेंकटरमानी ने कहा कि अगर राज्य गैर उत्पादक व्यय या खराब लक्षित सब्सिडी के वित्तपोषण के लिए अनियंत्रित तरीके से उधार लेते हैं तो यह निजी उधार को बाजार से बाहर कर देगा।

हलफमाने में बताया गया, ‘‘राज्यों के ऋण देश की ‘क्रेडिट रेटिंग’ को प्रभावित करती है। इसके अलावा अगर कोई राज्य कर्ज चुकाने में विफल रहता है तो प्रतिष्ठा संबंधी समस्याएं पैदी होगी और इससे पूरे भारत की वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ेगी।’’

अर्टानी जनरल ने कहा कि अनियंत्रित ऋण से निजी उद्योगों की ऋण लागत बढ़ जाएगी और इससे बाजार में वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन और आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

हलफनामे के मुताबिक, ‘‘अधिक ऋण लेने के परिणामस्वरूप राज्य की ऋण भुगतान देनदारियों में वृद्धि होगी और विकास कार्यों के लिए धन की उपलब्धता कम हो जाएगी, जिससे लोगों का विकास बाधित होगा और राज्य की आय को हानि पहुंचेगी।इससे राष्ट्रीय आय की भी हानि होगी। विभिन्न सामाजिक और अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती है।’’

वेंकटरमानी ने जिक्र किया कि सभी राज्यों को किसी भी जरिये से उधार लेने पर केंद्र सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अनुमति देते समय पूरे देश की व्यापक आर्थिक स्थिरता के समग्र उद्देश्यों को ध्यान में रखती है और अनुच्छेद 293(4) के तहत इसकी अनुमति मांगने वाले राज्य के लिए उधार लेने की सीमा तय करती है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राज्यों की उधार सीमा वित्त आयोग की सिफारिशों द्वारा निर्देशित गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी तरीके से तय की जाती है।

शीर्ष अदालत ने केरल सरकार की एक याचिका पर केंद्र से दो सप्ताह में जवाब देने को कहा था, जिसपर अटॉर्नी जनरल ने सरकार का पक्ष रखा।

केरल सरकार ने याचिका में आरोप लगाया कि राज्य की ऋण सीमा तय कर केंद्र ने वित्त को विनियमित करने की उसकी ‘विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों’ के प्रयोग में हस्तक्षेप किया है।

शीर्ष अदालत ने 12 जनवरी को केरल सरकार द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।

भाषा जितेंद्र धीरज

धीरज

 

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