‘वोकल फॉर लोकल’ के आह्वान को बल देने आगे आएं बच्चें: प्रधानमंत्री |

‘वोकल फॉर लोकल’ के आह्वान को बल देने आगे आएं बच्चें: प्रधानमंत्री

‘वोकल फॉर लोकल’ के आह्वान को बल देने आगे आएं बच्चें: प्रधानमंत्री

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : January 24, 2022/6:38 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का ‘‘बहुत बड़ा श्रेय’’ बच्चों को देते हुए सोमवार को उनसे ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के संकल्प को मजबूती देने के लिए ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ अभियान को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ (पीएमआरबीपी) पुरस्कार विजेताओं के साथ संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय भी मैं भारत के बच्चों को देता हूं क्योंकि उन्होंने घर-घर में ‘बाल सैनिक’ बनकर अपने परिवार को स्वच्छता अभियान के लिए प्रेरित किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे आप स्वच्छता अभियान के लिए आगे आए, वैसे ही आप वोकल फॉर लोकल अभियान के लिए भी आगे आइए।’’

उन्होंने बच्चों को सुझाव दिया कि वह घर में उपयोग होने वाली वस्तुओं की एक सूची बनाएं और देखें कि उनमें से कितने ऐसे उत्पाद हैं, जो भारत में नहीं बने हैं और वह विदेशी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद घर के लोगों से आप आग्रह करें कि भविष्य में जब वैसा ही कोई उत्पाद खरीदा जाए तो वह भारत में बना हो।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत में बनी चीजों की खरीददारी बढ़ेगी तो इससे देश में उन भारतीय उत्पादों का उत्‍पादन बढ़ने लग जाएगा और जब उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के भी नए अवसर भी बनेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘जब रोजगार बढ़ेंगे तो आपका जीवन भी आत्मनिर्भर बनेगा। इसलिए आत्मनिर्भर भारत का अभियान, हमारी युवा पीढ़ी, आप सभी से भी जुड़ा हुआ है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 25 सालों में देश जिस ऊंचाई पर होगा और जो उसका सामर्थ्य बनेगा, उसमें बहुत बड़ी भूमिका युवा पीढ़ी की होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘आज देश में जो नीतियां बन रही है और जो प्रयास हो रहे हैं, इन सब के केंद्र में युवा पीढ़ी है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज उन्हें गर्व होता है जब वह देखते हैं कि दुनिया की बड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भारतीय हैं, स्टार्टअप की दुनिया में भारत परचम फहरा रहा है, जब नए-नए नवोन्मेष हो रहे हैं और देश के युवा गगनयान मिशन के लिए तैयारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यही वह नया भारत है। हिम्मत और हौंसला आज भारत की पहचान है। आज भारत अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की नींव को मजबूत करने के लिए निरंतर कदम उठा रहा है।’’

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘‘ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी’’ के उपयोग के जरिये वर्ष 2022 और 2021 के पीएमआरबीपी पुरस्कार विजेताओं को डिजिटल प्रमाणपत्र भी प्रदान किए। पुरस्कार विजेताओं को प्रमाण पत्र देने के लिए पहली बार इस तकनीक का उपयोग किया गया।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थीं।

प्रधानमंत्री ने इसके बाद पुरस्कार विजेता मध्य प्रदेश के इंदौर के अवि शर्मा से बातचीत की और रामायण के विभिन्न पहलुओं पर, कर्नाटक की कुमारी रेमोना इवेट परेरा से भारतीय नृत्य के प्रति उनके जुनून पर और त्रिपुरा की कुमारी पुहाबी चक्रवर्ती से कोविड से संबंधित नवाचार के संबंध में चर्चा की।

अवि शर्मा से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने एक घटना का उल्लेख किया जब उन्होंने मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का प्रवचन सुना था वह भी तब जब वह बहुत छोटी थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उमा भारती का वह प्रवचन अत्यधिक आध्यात्मिक गहराई और ज्ञान को दर्शाने वाला था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं हैरान था कि इतनी छोटी उम्र में उमा भारती धारा प्रवाह वक्तव्य देती थीं, जिस प्रकार से शास्त्रों का बहुत सटीक रूप में उल्लेख करती थीं। मध्य प्रदेश की मिट्टी में कुछ ऐसा है जो ऐसी अद्भुत प्रतिभा को जन्म देता है।’’

इनके अलावा प्रधानमंत्री ने अपने छोटे भाई को मगरमच्छ के हमले से बचाने वाले बिहार के पश्चिम चंपारण के धीरज कुमार से, कोविड से जुड़ी जानकारियों के उपयोग के लिए एक ऐप बनाने वाले पंजाब के मीधांश कुमार गुप्ता और खेल की दुनिया में विशेष पहचान बनाने वाली चंडीगढ़ की कुमारी तरुशी गौर से बातचीत की और उनके अनुभव सुने।

ज्ञात हो कि भारत सरकार नवाचार, सामाजिक सेवा, शैक्षिक योग्यता, खेल, कला एवं संस्कृति और बहादुरी जैसी छह श्रेणियों में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए पीएमआरबीपी पुरस्कार प्रदान करती है।

इस वर्ष, बाल शक्ति पुरस्कार की विभिन्न श्रेणियों के तहत देश भर से 29 बच्चों को पीएमआरबीपी-2022 के लिए चुना गया है। पुरस्कार विजेता हर साल गणतंत्र दिवस परेड में भी भाग लेते हैं। पीएमआरबीपी के प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए जाते हैं।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)