चीनी कार्रवाई ने सीमावर्ती क्षेत्र में शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया : विदेश मंत्रालय | Chinese action seriously affects peace in border region: MEA

चीनी कार्रवाई ने सीमावर्ती क्षेत्र में शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया : विदेश मंत्रालय

चीनी कार्रवाई ने सीमावर्ती क्षेत्र में शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया : विदेश मंत्रालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:05 PM IST, Published Date : June 24, 2021/1:42 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुई ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे चीनी विदेश मंत्रालय के इस वक्तव्य के बारे में पूछा गया कि सीमावर्ती क्षेत्र में चीन की सैन्य तैनाती भारत के अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ यह सर्वविदित है कि पिछले साल की चीनी कार्रवाई (पश्चिमी सेक्टर में) ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को गंभीर रूप से प्रभावित किया।’’

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करने, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश से शांति भंग हुयी।

बागची ने कहा कि पिछले साल की चीनी कार्रवाई 1993 और 1996 के समझौते सहित उन द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन थी जिनके तहत दोनों पक्षों को एलएसी का सम्मान करने तथा न्यूनतम संख्या में सैनिक रखने की आवश्यकता है ।

गौरतलब है कि कतर इकॉनोमिक फोरम में ऑनलाइन संबोधन के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से जुड़े मामले में बड़ा मुद्दा यह है कि क्या भारत और चीन पारस्परिक संवेदनशीलता एवं सम्मान पर आधारित रिश्ते बना सकते हैं और क्या बीजिंग उस लिखित प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा जिसमें दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों की तैनाती नहीं करना शामिल है।

जयशंकर ने यह भी साफ किया था कि भारत के क्वाड का हिस्सा बनने और चीन के साथ सीमा विवाद के बीच आपस में कोई संबंध नहीं है।

विदेश मंत्री ने कहा था, ” भारत-चीन सीमा विवाद क्वाड के अस्तित्व में आने से पूर्व का है। कई मायनों में यह एक चुनौती और समस्या है जो कि क्वाड से बिलकुल अलग है। बेशक, फिलहाल यहां दो बड़े मुद्दे हैं, जिनमें से एक सैनिकों की तैनाती का मुद्दा है, विशेषकर लद्दाख में।”

इसके बाद चीन ने बुधवार को कहा था कि भारत के साथ लंबित सीमा मुद्दे को शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए और इसे द्विपक्षीय संबंधों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था कि सीमा के पश्चिमी सेक्टर में चीन की सैन्य तैनाती सामान्य रक्षात्मक व्यवस्था है। यह संबंधित देश द्वारा चीन के क्षेत्र के खिलाफ अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए है।

एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्वी लद्दाख गतिरोध को लेकर सीमा मामलों के संबंध में परामर्श एवं समन्वय कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की अगली बैठक को लेकर ताजा जानकारी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य गतिरोध है। हालांकि, दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।

समझा जाता है कि कुछ क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने को लेकर अभी गतिरोध बरकरार है ।

भाषा दीपक

दीपक माधव

माधव

 

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