नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) संसद की एक समिति ने कहा है कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण कानून (एचएएमए) और किशोर न्याय (जेजे) कानून में सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है तथा गोद लिए जाने के संबंध में एक व्यापक कानून लाए जाने की आवश्यकता है जो अधिक पारदर्शी, जवाबदेह, नौकरशाही के कम हस्तक्षेप वाला और सभी धर्मों के लोगों पर लागू हो।
समिति ने कहा कि ऐसा होने पर गोद लिए जाने की प्रक्रिया आसान और कम बोझिल हो सकेगी।
कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी समिति की यह रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई। भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी इस समिति के अध्यक्ष हैं।
समिति ने ‘‘गोद लेने और बच्चों के संरक्षण से जुड़े कानूनों की समीक्षा’’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण कानून और किशोर न्याय कानून में अपनी-अपनी खूबियां और कमियां हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एचएएमए के तहत गोद लेने की प्रक्रिया सरल है और कम समय लेने वाली है जबकि जेजे कानून के तहत यह पारदर्शी, जवाबदेह और प्रमाण योग्य है।
उसने कहा कि गोद लेने के बारे में एक व्यापक कानून के लिए दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है, जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह, प्रमाण योग्य और सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान करे।
हालांकि, समिति ने यह भी कहा कि किशोर न्याय कानून के तहत बनाए गए नियम में ऐसी प्रक्रिया है जिसमें काफी समय लगता है। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि उसका मानना है कि दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है तथा गोद लिए जाने के संबंध में एक व्यापक कानून बनाने की जरूरत है जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह व प्रमाण योग्य बनाए तथा सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान बनाए।
भाषा
अविनाश मनीषा
मनीषा
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Aaj Ka Current Affairs 26 April : यहां पढ़े आज…
16 mins agoखबर लोस चुनाव मप्र शाह दो
16 mins agoखबर लोस चुनाव मप्र शाह
19 mins ago