दूषित, अपशब्दों वाली सामग्री को अपराध बनाकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता: न्यायालय

दूषित, अपशब्दों वाली सामग्री को अपराध बनाकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता: न्यायालय

दूषित, अपशब्दों वाली सामग्री को अपराध बनाकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता: न्यायालय
Modified Date: March 19, 2024 / 10:15 pm IST
Published Date: March 19, 2024 10:15 pm IST

नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक वेब सीरीज में कथित अश्लीलता को लेकर टीवीएफ और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करते हुए मंगलवार को कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी मंचों पर दूषित तथा अपशब्दों वाली सामग्री की उपलब्धता को ”अश्लील” करार देकर नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने 6 मार्च, 2023 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उसने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा था।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस को वेब सीरीज की कड़ी ‘कॉलेज रोमांस’ के संबंध में टीवीएफ, शो निर्देशक सिमरप्रीत सिंह और कलाकार अपूर्वा अरोड़ा के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहा था।

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शीर्ष अदालत ने कहा, “हमारी राय है कि उच्च न्यायालय अपने इस निष्कर्ष में सही नहीं था कि वेब सीरीज में अश्लील सामग्री है और इसलिए आईटी अधिनियम की धारा 67 के प्रावधान लागू होते हैं।’’

न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने फैसले में कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हैं… और उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हैं, तथा आईटी अधिनियम की धारा 67 और 67 ए के तहत 16 अप्रैल, 2023 को अपीलकर्ताओं के खिलाफ थाना मुखर्जी नगर, दिल्ली में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करते हैं।’’

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव


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