अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 1 रुपये का जुर्माना, 1 रुपये जमा करने को दिया 15 दिन का समय | Contempt case against advocate Prashant Bhushan, Supreme Court imposed a fine of 1 rupees

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 1 रुपये का जुर्माना, 1 रुपये जमा करने को दिया 15 दिन का समय

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 1 रुपये का जुर्माना, 1 रुपये जमा करने को दिया 15 दिन का समय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : August 31, 2020/8:03 am IST

नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पर 1 रुपये का जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर तक 1 रुपये का जुर्माना जमा करने का समय भी दिया है। जुर्माना नहीं देने पर उन्हें तीन महीने की सजा होगी और 3 साल तक के लिए वकालत पर रोक रहेगी।

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तीन जजों की पीठ ने कहा कि प्रशांत भूषण ने अपने बयान को पब्लिसिटी दिलाई उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने फैसले में प्रशांत भूषण के कदम को सही नहीं माना। वहीं 25 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माफी मांगने में गलत क्या है, क्या यह शब्द इतना बुरा है। प्रशांत भूषण माफी नहीं मांगने की जिद पर अड़े थे।

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प्रशांत भूषण ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि वह अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगेगे और अपने ट्वीट पर अडिग हैं। प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया था सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर दोबारा विचार करते हुए माफी मांगने को कहा था। सुनवाई में अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने कोर्ट से भूषण को भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ने का सुझाव दिया था। दूसरी तरफ भूषण का पक्ष रख रहे राजीव धवन ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई मर्डर या चोरी नहीं की है लिहाजा उन्हें शहीद न बनाया जाए।

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उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। अदालत ने 14 अगस्त को चीफ जस्टिस और पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ आपत्तिजनक टि्वट के मामले में प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत भूषण ने पूरे सुप्रीम कोर्ट के कार्यप्रणाली पर अटैक किया है और अगर इस तरह के अटैक को सख्त तरीके से डील नहीं किया जाता है तो इससे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और ख्याति प्रभावित होगा।