पॉक्सो मामलों में आयु निर्धारण संबंधी रिपोर्ट अविलंब दाखिल करे पुलिस : अदालत |

पॉक्सो मामलों में आयु निर्धारण संबंधी रिपोर्ट अविलंब दाखिल करे पुलिस : अदालत

पॉक्सो मामलों में आयु निर्धारण संबंधी रिपोर्ट अविलंब दाखिल करे पुलिस : अदालत

:   Modified Date:  April 17, 2024 / 09:14 PM IST, Published Date : April 17, 2024/9:14 pm IST

प्रयागराज, 17 अप्रैल (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि पॉक्सो अधिनियम के मामलों में पुलिस अधिकारी मामले की शुरुआत में ही पीड़िता की आयु निर्धारित करने वाली मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर उसे अविलंब अदालत में जमा कराना सुनिश्चित करें।

न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा, ‘‘इस अदालत के संज्ञान में यह तथ्य आता रहा है कि बड़ी संख्या में पॉक्सो के मुकदमों में पीड़िता की आयु, विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड द्वारा निर्धारित आयु से अक्सर भिन्न रहती है। कई बार आयु से जुड़े प्रपत्रों में कई विरोधाभास होते हैं। झूठा फंसाने और पॉक्सो अधिनियम के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं।”

अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले की तरह, पॉक्सो अधिनियम के तहत बड़ी संख्या में जमानत की अर्जियां लंबित हैं जिनमें पीड़िता की आयु से जुड़े मुद्दे हैं और आरोपी व्यक्तियों के जीवन और स्वतंत्रता पर इनके गंभीर परिणाम पड़ते हैं।

आरोपी व्यक्ति के वकील ने दलील दी कि प्राथमिकी में पीड़िता को गलत ढंग से 16 वर्ष की नाबालिग दिखाकर उनके मुवक्किल को पॉक्सो अधिनियम के कड़े प्रावधानों के तहत झूठा फंसाया गया है।

अदालत ने मंगलवार को दिए अपने निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के समय पीड़िता की आयु निर्धारित करने के लिए उसका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया। इसके बजाय, बाद में रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें पीड़िता की आयु 17 वर्ष बताई गई।

अदालत ने अमन उर्फ वंश नाम के व्यक्ति की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि पॉक्सो के मामलों में पीड़िता की आयु में विसंगति से आरोपी के अधिकार और स्वतंत्रता प्रभावित होती है।

मौजूदा मामले में अमन उर्फ वंश के खिलाफ गाजियाबाद के शालीमार गार्डेन पुलिस थाना में पिछले वर्ष आईपीसी की धारा 363, 376 (अपहरण और दुष्कर्म) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया था औऱ वह पांच दिसंबर, 2023 से जेल में बंद है।

अदालत ने कहा, “कई मामलों में आरोपी याचिकाकर्ताओं की दलील रही है कि पीड़िता की आयु निर्धारण के लिए जानबूझकर चिकित्सा जांच नहीं करायी गई क्योंकि इससे पीड़िता बालिग साबित हो जाती और अभियोजक का पक्ष कमजोर पड़ जाता।”

इन बातों को देखते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि पॉक्सो के प्रत्येक मामले में शुरुआत में ही पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया जाए। आयु निर्धारण के लिए मेडिकल परीक्षण में स्थापित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए और इसमें नवीनतम वैज्ञानिक मानकों और मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।

अदालत ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164-ए के तहत आयु निर्धारण वाली मेडिकल रिपोर्ट बिना विलंब किए अदालत को सौंपी जाए। उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक भी यह सुनिश्चित करेंगे कि मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर उचित प्रशिक्षित हों।

अदालत ने शासकीय अधिवक्ता को इस आदेश की प्रति उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया।

भाषा राजेंद्र

धीरज

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