शिकायत पर प्रारंभिक जांच के लिए अदालत बाध्य नहीं : उच्चतम न्यायालय |

शिकायत पर प्रारंभिक जांच के लिए अदालत बाध्य नहीं : उच्चतम न्यायालय

शिकायत पर प्रारंभिक जांच के लिए अदालत बाध्य नहीं : उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : September 25, 2022/10:28 pm IST

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अदालत किसी शिकायत पर प्रारंभिक जांच करने के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन अगर अदालत ऐसा करने का फैसला करती है तो उसे उन तथ्यों का अंतिम सेट तैयार करना चाहिए जो न्याय के हित में आगे जांच की दृष्टि से समीचीन हों।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि 2003 में ‘प्रीतीश बनाम महाराष्ट्र सरकार एवं अन्य’ के मामले में और 2005 में ‘इकबाल सिंह मारवाह बनाम मीनाक्षी मारवाह’ मामले में पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने समान विचार व्यक्त किये थे।

शीर्ष अदालत 26 फरवरी 2020 को दो-सदस्यीय पीठ द्वारा भेजे गये उस संदर्भ का जवाब दे रही थी, जिसमें उसने संज्ञान लिया था कि तीन-न्यायाधीशों की दो पीठों और पांच-सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा परस्पर विरोधी राय रखी गई थी।

संदर्भित पहला प्रश्न था, ‘‘क्या दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की धारा 340 में प्रारंभिक जांच अनिवार्य है और किसी न्यायालय द्वारा सीआरपीसी की धारा 195 के तहत शिकायत किए जाने से पहले संभावित आरोपी को सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाना चाहिये?’’ दो-सदस्यीय पीठ का दूसरा संदर्भ था, ‘‘इस तरह की प्रारंभिक जांच का दायरा क्या है?’’

तीन-सदस्यीय पीठ ने अपने 15 सितंबर के आदेश में कहा, ‘‘मामले पर विचार करने के बाद हमारा यह मत है कि संविधान पीठ का विचार स्वाभाविक रूप से मान्य होगा, जो कानूनी स्थिति को काफी स्पष्ट करता है। इतना ही नहीं, अगर हम ध्यान से विचार करें, तो शरद पवार के मामले में जो रिपोर्ट किया गया है वह केवल एक आदेश है और निर्णय नहीं।’’

भाषा सुरेश दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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