न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 'साइक्लोस्टाइल' आदेश को रद्द किया |

न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के ‘साइक्लोस्टाइल’ आदेश को रद्द किया

न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 'साइक्लोस्टाइल' आदेश को रद्द किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : June 2, 2022/9:12 pm IST

नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने धोखाधड़ी के एक मामले में प्राथमिकी रद्द करने संबंधी याचिका पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया है कि न्यायाधीश ने मामले के गुण-दोष पर गौर करने की जहमत नहीं उठाई और एक ‘साइक्लोस्टाइल’ आदेश पारित किया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि संबंधित आदेश की सराहना नहीं की जा सकती। इसने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामले को किसी अन्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए वापस उच्च न्यायालय भेज दिया।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अवकाश पीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया, हमारा विचार है कि इन आदेशों को पारित करते समय, विद्वान न्यायाधीश ने मामले के गुण-दोष को देखने की जहमत नहीं उठाई है और साइक्लोस्टाइल आदेश पारित किए हैं।’

पीठ ने अपने हालिया आदेश में उत्तराखंड पुलिस को प्राथमिकी के संबंध में अपीलकर्ता हर्ष आर किलाचंद और अन्य के खिलाफ आठ सप्ताह तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया तथा उन्हें अंतरिम संरक्षण के लिए उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि भादंसं की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत दंडनीय अपराध के लिए नैनीताल, उत्तराखंड में दर्ज 24 फरवरी, 2022 की प्राथमिकी को रद्द करने की अपील की गई है।

अपीलकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा पारित विभिन्न आदेशों की ओर इशारा करते हुए कहा रिट याचिका को ‘‘साइक्लोस्टाइल तरीके से’’ निपटाया गया।

पीठ ने कहा, ‘हमारे विचार में, जिस तरह से चार अप्रैल, 2022 के आदेश को उच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पारित किया गया है, इस न्यायालय द्वारा उसकी सराहना नहीं की जा सकती है।’’

इसने अपील को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘चार अप्रैल, 2022 के आदेश को रद्द किया जाता है और आपराधिक रिट याचिका को उत्तराखंड उच्च न्यायालय की फाइल पर बहाल किया जाता है तथा इस पर कानून के अनुसार गुण-दोष के आधार पर सुनवाई की जाएगी।’’

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

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