अदालत ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन रखने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

अदालत ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन रखने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

अदालत ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन रखने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 pm IST
Published Date: July 10, 2021 12:19 pm IST

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन कथित तौर पर रखने के आरोप में गिरफ्तार किये गये एक व्यक्ति को जमानत देने से शनिवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी ने कोविड-19 की गंभीर स्थिति के दौरान उन रोगियों के जीवन के साथ खेलने का प्रयास किया, जिन्हें इस दवा की तत्काल जरूरत थी।

गत 30 अप्रैल को छापेमारी के दौरान जिस कार में आरोपी कार्तिक गर्ग यात्रा कर रहा था, उसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन की सात शीशियां बरामद की गईं थी। बाद में इंजेक्शन नकली निकले।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने गर्ग को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति के हैं और इसके लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जिन अपराधों के आरोप याचिकाकर्ता पर लगाये गये हैं, वे गंभीर प्रकृति के हैं, जहां आरोपी ने कठिन समय में उन रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया, जिन्हें तत्काल इन शीशियों की आवश्यकता थी।’’

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इसके अलावा, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी द्वारा किए गए अपराध न केवल भारतीय दंड संहिता या महामारी अधिनियम के तहत दंड के दायरे में आते हैं बल्कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत भी दंडनीय हैं।

आरोपी वर्तमान में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 188 (लोक सेवक द्वारा आदेश की अवज्ञा), और 34 (समान मंशा) और आवश्यक वस्तु अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहा है।

कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसिविर की महामारी की दूसरी लहर के दौरान बहुत मांग थी।

भाषा देवेंद्र दिलीप

दिलीप

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