न्यायालय का वकीलों के वास्ते 20 लाख रुपये के कर्ज के लिये याचिका पर विचार से इंकार | Court refuses to consider plea for Rs 20 lakh loan for lawyers

न्यायालय का वकीलों के वास्ते 20 लाख रुपये के कर्ज के लिये याचिका पर विचार से इंकार

न्यायालय का वकीलों के वास्ते 20 लाख रुपये के कर्ज के लिये याचिका पर विचार से इंकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:01 PM IST, Published Date : October 8, 2020/1:51 pm IST

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी की वजह से आर्थिक संकट का सामना कर रहे वकीलों के कर्ज पर देय ब्याज माफ करने और उन्हें 20 लाख रुपये का कर्ज दिलाने के लिये केंद्र को निर्देश देने संबंधी वकीलों के एक संगठन की याचिका पर विचार करने से बृहस्पतिवार को इंकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने ‘सुप्रीम कोर्ट आर्ग्युइंग काउंसिल एसोसिएशन’ से कहा कि वह यह याचिका वापस लेकर इसी मुद्दे पर पहले से ही लंबित एक अन्य मामले में हस्तक्षेप के लिये आवेदन दायर करे। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में मुकदमों की संख्या बढ़ाना नहीं चाहता।

पीठ ने कहा कि यह संगठन पंजीकृत नहीं है और बेहतर होगा कि वह इसी तरह के एक अन्य मामले में हस्तक्षेप के लिये आवेदन दायर करे।

अधिवक्ता परीना स्वरूप ने कहा कि उनका संगठन पंजीकृत है और परिवार के मुखिया होने के नाते प्रधान न्यायाधीश को कुछ न कुछ राहत देने पर विचार करना चाहिए।

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने मुस्कुराते हुये कहा, ‘‘तो फिर परिवार के मुखिया की सुनिये और अच्छे बच्चे बनिये। अन्य मामले में हस्तक्षेप की अर्जी दें और हम इसकी अनुमति दे देंगे।’’

इसके बाद पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता संगठन की वकील इसे वापस लेने और पहले से ही लंबित मामले में हस्तक्षेप के लिये आवेदन करने की छूट चाहती हैं। अनुरोध स्वीकार किया जाता है। ’’

न्यायालय ने 24 सितंबर को वकीलों के इस निकाय से संगठन, उसके सदस्यों और उसके पदाधिकारियों के चुनाव आदि के बारे में सवाल किये थे।

पीठ ने कहा था, ‘‘हम आपकी मंशा पर सवाल नहीं कर रहे लेकिन हम इस एसोसिएशन के बारे में जानना चाहते हैं। आप एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें प्रत्येक विवरण हो। इसके बाद हम इस पर गौर करेंगे।’’

एसोसिएशन ने अपने वकील वरिन्दर कुमार शर्मा के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा था कि शीर्ष अदालत में 10 साल से ज्यादा समय से वकालत करने वाले वकील उसके सदस्य हैं और वास्तव में तमाम मुकदमों की फाइलें इन्हीं के पास होती हैं।

याचिका में कहा गया था, ‘‘ये (सदस्य) देश के दूसरे हिस्सों से यहां आये और उन्होंने मकान और कार्यालय खरीदने के बाद अपनी वकालत शुरू की है। इन्होंने अपने कार्यालय और घरों के लिये कर्ज लिये हैं। मौजूदा महामारी की वजह से पिछले छह महीने से अदालतों का सामान्य कामकाज निलंबित है और निकट भविष्य में सुचारू रूप से इसके शुरू होने की उम्मीद नहीं है।’’

भाषा अनूप

अनूप दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)