रांची, चार फरवरी (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य की राजधानी रांची में तालाबों एवं अन्य जलाशयों से अतिक्रमण को हटाने के लिए की गयी कार्रवाई और इन जलाशयों की सफाई के लिए उठाये गये कदमों पर शुक्रवार को नगर निगम से 11 फरवरी तक जवाब मांगा।
उच्च न्यायालय ने रांची के जलस्रोतों पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम से पूछा है, ‘‘ शहर में जलाशयों का पूर्व में कितना क्षेत्रफल था? वर्तमान में कितने क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया है?’’
न्यायालय ने साथ ही जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के निदेशक को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होकर देने को कहा है।
इससे पूर्व भी इस मामले में जीएसआई से इस संबन्ध में रिपोर्ट मांगी गई थी लेकिन अभी तक उक्त रिपोर्ट अदालत में पेश नहीं की जा सकी है। इसके अलावा अदालत ने कांके और धुर्वा बांधों में अतिक्रमण पर रांची नगर निगम से जवाब मांगा है।
अदालत ने नगर निगम से पूछा, ‘‘वर्तमान में बांध के क्षेत्र में से कितना हिस्सा अतिक्रमित हुआ है? इन हिस्सों से अब तक कितने अतिक्रमण हटाए गए हैं? फिलहाल क्या स्थिति है। इनको कब तक पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कर दिया जाएगा?’’
अदालत ने नगर निगम को बिंदुवार इस मामले में अपना शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिये हैं।
सुनवाई के दौरान बड़का तालाब में व्याप्त गंदगी को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि छह माह पूर्व ही बड़ा तालाब में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक इसको लेकर निगम की ओर से क्या कदम उठाया गया है?
अदालत ने पूछा, ‘‘अगर अभी तक काम नहीं हुआ है तो क्यों नहीं हुआ है?’’ अदालत ने कहा कि इसकी विस्तृत जानकारी रांची नगर निगम अदालत में दाखिल करे। इस मामले में भी 11 फरवरी को सुनवाई होगी।
इससे पूर्व की सुनवाई में नगर निगम ने कहा था कि बड़ा तालाब को गंदगी से संरक्षित करने के लिए दीवार बनाई गई है। सीवरेज के पानी को साफ करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा, ताकि तालाब का पानी साफ रहे।
इसी संदर्भ में अदालत ने निगम से जानना चाहा कि बड़के तालाब में एसटीपी स्थापित करने की क्या स्थिति है?
भाषा, इन्दु
राजकुमार
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