तिरुवनंतपुरम, 21 अक्टूबर (भाषा) केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक वरिष्ठ नेता की बेटी ने अपने माता-पिता पर आरोप लगाया है कि उन्होंने करीब एक साल पहले उसके नवजात शिशु को जन्म के तुरंत बाद उससे छीन लिया था।
23 वर्षीय युवती ने अपना बच्चा वापस लेने के लिए पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है।
माकपा की स्थानीय समिति के सदस्य पी एस जयचंद्रन की बेटी अनुपमा एस चंद्रन ने आरोप लगाया है कि हालांकि उसने अप्रैल के बाद से कई बार इस संबंध में पुलिस से शिकायत की, लेकिन पुलिस उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करने से बचती रही।
इस बीच, यहां पेरूरक्काडा पुलिस ने बताया कि अनुपमा के माता-पिता, उसकी बहन और पति तथा उसके पिता के दो मित्रों समेत छह लोगों के खिलाफ मंगलवार को एक मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने कहा कि मामला दर्ज करने में देरी इसलिए हुई, क्योंकि वे इस संबंध में कानूनी सलाह का इंतजार कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 343 (गलत तरीके से कैद करना), 361 (संरक्षण से अपहरण करना), 471 (फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत और अन्य आरोप लगाए गए हैं।
माकपा से संबद्ध ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) की पूर्व नेता अनुपमा ने आरोप लगाया कि उसने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन समेत माकपा के वरिष्ठ नेताओं से भी शिकायत की थी, लेकिन उसके बच्चे को वापस दिलाने में किसी ने उसकी मदद नहीं की।
उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘जब कोई महिला अपने लापता बच्चे के बारे में पुलिस से शिकायत करती है, तो उसे इस तरह काम करना चाहिए? क्या वे इस प्रकार के हर मामले के लिए कानूनी सलाह लेते हैं? मुझे लगता है कि मेरे पिता और परिजन को बचाने के लिए जानबूझकर यह देरी की गई।’’
अनुपमा की शिकायत के अनुसार, उसके माता-पिता को एसएफआई के नेता अजित के साथ उसका संबंध पसंद नहीं था। शिकायत में कहा गया है कि बच्चे के जन्म के समय अनुपमा अविवाहित थी, इसलिए प्रसव के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने के तीन दिन बाद ही उसका बच्चा उससे छीन लिया गया था।
अनुपमा ने कहा कि उसने अप्रैल में अपना घर छोड़ दिया था और वह तब से अजित के साथ रह रही है।
हालांकि पुलिस ने कहा कि अनुपमा के पिता जयचंद्रन ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी बेटी से उसके बच्चे को अलग कर दिया था, लेकिन उन्होंने जांच के दौरान दावा किया कि यह उनकी बेटी की सहमति से किया गया था।
पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘पिता ने दावा किया है कि उसने (बेटी ने) एक स्टाम्प पेपर पर अपने हस्ताक्षर के साथ सहमति दी थी कि उसे अपना बच्चा सौंपने पर कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि वह शिशु की देखभाल करने में सक्षम नहीं है, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना है कि परिवार ने इस कागज पर उससे जबरन हस्ताक्षर कराए थे।’’
उन्होंने बताया कि पिता के बयान के अनुसार, बच्चे को पिछले साल अक्टूबर में यहां थाइकौड में सरकारी बाल कल्याण केंद्र के सामने स्थित बिजली के पालने ‘अम्माथोत्तिल’ में रख दिया गया था।
उन्होंने बताया कि केंद्र के नियमानुसार, जब कोई बच्चा पालने में मिलता है, तो वे दो महीने तक बच्चे को अपने पास रखते हैं और यदि बच्चों का कोई अभिभावक उसे लेने नहीं आता है, तो वे अन्य लोगों को उसे गोद लेने की अनुमति दे देते हैं।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने कल्याण समिति के अधिकारियों से संपर्क किया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्हें उसी दिन एक बच्चा मिला था, लेकिन वे इससे अधिक कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं क्योंकि यह गोद लेने के संबंध में उनके नियमों और मानदंडों के खिलाफ है।’’
अधिकारी ने बताया कि मामले की विस्तृत जानकारी हासिल करने और बच्चे का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
भाषा सिम्मी उमा
उमा
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