क्रॉस-वोटिंग और उपराष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल के फैसले से विपक्षी एकता में फिर दरार |

क्रॉस-वोटिंग और उपराष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल के फैसले से विपक्षी एकता में फिर दरार

क्रॉस-वोटिंग और उपराष्ट्रपति चुनाव में तृणमूल के फैसले से विपक्षी एकता में फिर दरार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:47 PM IST, Published Date : July 22, 2022/9:17 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) राष्ट्रपति चुनाव में कई राज्यों में द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस-वोटिंग होने और उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने के तृणमूल कांग्रेस के फैसले से विपक्षी एकता में एक बार फिर दरार पड़ गई है।

तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि उसने उपराष्ट्रपति चुनाव से अनुपस्थित रहने का फैसला किया क्योंकि मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाने को लेकर उसे विश्वास में नहीं लिया गया। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि वे इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के संपर्क में थे।

अल्वा ने तृणमूल के फैसले पर कहा, ‘‘उप राष्ट्रपति चुनाव से तृणमूल कांग्रेस का अनुपस्थित रहने का फैसला निराशाजनक है। यह वाद-विवाद, अहंकार और गुस्से का समय नहीं है। यह साहस, नेतृत्व और एकता का समय है।’’

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह ममता बनर्जी से संपर्क साधने और उन्हें अल्वा की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मनाएंगे।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गत 15 जुलाई को ममता बनर्जी से बात की थी और उस समय तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया था कि वह विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगी।

सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी ने 16 जुलाई को जगदीप धनखड़ के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का उम्मीदवार घोषित होने के बाद ममता से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं साधा जा सका।

उन्होंने बताया कि शरद पवार ने भी मार्गरेट अल्वा का नाम घोषित होने के बाद 17 जुलाई को ममता बनर्जी से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

देश के 17 विपक्षी दलों ने गत रविवार को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा को अपना साझा उम्मीदवार घोषित किया था।

तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का कोई नेता अल्वा के नामांकन के मौके पर नहीं पहुंचा था। ये दोनों दल उस बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे जिसमें अल्वा को विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनाने का फैसला हुआ था। उस समय पवार ने कहा था कि वह तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के संपर्क में हैं।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने बताया कि विपक्षी दलों की बैठक के दौरान पवार ने ममता से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन बताया गया कि मुख्यमंत्री एक आधिकारिक ऑनलाइन बैठक में हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी तृणमूल कांग्रेस के सांसदों से बात की और यह समझा जा रहा था कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी मार्गरेट अल्वा का समर्थन करेगी।

उधर, विभिन्न राज्यों में कई विपक्षी विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार मुर्मू के समर्थन में मतदान किया।

भाजपा से जुड़े सूत्रों का दावा है कि 125 विधायकों ने मुर्मू के लिए क्रॉस-वोटिंग की। मतगणना के नतीजों से पता चलता है कि 17 सांसदों ने भी मुर्मू के समर्थन में क्रॉस-वोटिंग की।

भाषा हक

हक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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