नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में आरोपी कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि बृहस्पतिवार को आठ मई तक बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने हैदराबाद के कारोबारी बोइनपल्ली की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के अनुरोध पर राहत बढ़ा दी।
सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल को प्रदान की गई पांच सप्ताह की अंतरिम जमानत समाप्त हो रही है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी मुख्य याचिका पर मई में सुनवाई होनी है।
शीर्ष अदालत ने बोइनपल्ली को विभिन्न बीमारियों से जूझ रहीं उनकी पत्नी की हालत के कारण 20 मार्च को पांच सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी। शीर्ष अदालत ने राहत प्रदान करते हुए कहा था कि कारोबारी 18 महीने से हिरासत में है।
अदालत ने बोइनपल्ली से अपना पासपोर्ट सौंपने को कहा था और निर्देश दिया था कि वह अपने गृहनगर हैदराबाद की यात्रा के अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से कहीं अन्य जगह नहीं जाएंगे।
बोइनपल्ली ने दिल्ली उच्च न्यायालय के तीन जुलाई, 2023 के आदेश को चुनौती दी है, जिसने नौ अक्टूबर, 2022 को उनकी गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
कारोबारी ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 का अनुपालन न करने के आधार पर उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को 2021-22 के लिए आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
भाषा आशीष माधव
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