नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर 2008 में राष्ट्रीय राजधानी में हुए सिलसिलेवार धमाकों में कथित संलिप्तता के लिए मुकदमे का सामना कर रहे इंडियन मुजाहिदीन के तीन संदिग्ध कार्यकर्ताओं को सोमवार को जमानत देने से इनकार कर दिया।
इन सिलसिलेवार धमाकों में 26 लोगों की मौत हुई थी।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने संबंधित निचली अदालत को सप्ताह में कम से कम दो बार सुनवाई करके मामले की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया।
इस मामले में आरोपी 2008 से सलाखों के पीछे हैं।
उच्च न्यायालय ने तीन अलग-अलग फैसलों में मुबीन कादर शेख, साकिब निसार और मंसूर असगर पीरभॉय की ओर से दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिसमें निचली अदालत द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ ने निसार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘ अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप और उसकी भूमिका इस अदालत को अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने के लिए राजी नहीं करती है। उसके पास से कथित तौर पर धमाकों से जुड़ी काफी सामग्री बरामद की गई थी।’’
दिल्ली में 13 सितंबर 2008 को अलग-अलग जगहों – करोल बाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इसके अलावा, तीन बम का भी पता लगाया गया और उन्हें निष्क्रिय कर दिया गया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, इन सिलसिलेवार धमाकों में 26 लोगों की मौत हो गई और 135 लोग घायल हो गए थे। इसके अलावा संपत्ति भी नष्ट हुई थी।
उसी दिन, इंडियन मुजाहिदीन ने विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को ई-मेल भेजकर सिलसिलेवार धमाकों की जिम्मेदारी ली और यह भी उल्लेख किया कि 13 मई, 2008 को राजस्थान के जयपुर तथा 26 अगस्त, 2008 को गुजरात के अहमदाबाद में हुए विस्फोटों के लिए भी वह जिम्मेदार है।
तीनों आरोपियों को 2008 में अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया था और तब से वे हिरासत में हैं।
भाषा रवि कांत माधव
माधव
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