दिल्ली दंगे : अदालत ने गोधरा मामले को नजीर मान आरोपियों के धर्म के आधार पर सुनवाई अलग की |

दिल्ली दंगे : अदालत ने गोधरा मामले को नजीर मान आरोपियों के धर्म के आधार पर सुनवाई अलग की

दिल्ली दंगे : अदालत ने गोधरा मामले को नजीर मान आरोपियों के धर्म के आधार पर सुनवाई अलग की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : September 14, 2021/9:13 pm IST

(अकांशा खजूरिया)

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) गुजरात के गोधरा दंगों से जुड़े मामलों को नजीर मानते हुए दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के दौरान 24 वर्षीय एक युवक की हत्या के आरोपियों की सुनवाई उनकी धार्मिक आस्था के आधार पर अलग-अलग करने का फैसला किया। अदालत ने कहा कि विचाराधीन कैदियों का एक ‘वर्गीकरण’ है और एक साथ सुनवाई से उनके बचाव पर पूर्वाग्रह का असर पड़ सकता है क्योंकि वे हिंदू और मुस्लिम धर्म से संबंध रखते हैं।

गौरतलब है कि 24 फरवरी 2020 को दिल्ली के शिवविहार में दंगाई भीड़ द्वारा दंगे के मामले में दर्ज प्राथमिकी में तीन हिंदुओं और दो मुस्लिमों की सुनवाई एक साथ होनी थी और उनपर दंगे फैलाने, आगजनी और सलमान नामक व्यक्ति की हत्या का मामला दर्ज है।

अदालत में अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि क्या अलग-अलग धर्मों के व्यक्तियों की एक साथ सुनवाई हो सकती है जिनपर दो अलग साजिश में शामिल होने और गैरकानूनी तरीके के जमा होने के आरोप हैं। इसपर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों का बचाव निश्चित तौर पर पूर्वाग्रह से प्रभावित होगा क्योंकि वे अलग-अलग धर्मों से जुड़े हैं।

मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस आयुक्त (अपराध) शाखा जॉय एन तिर्की को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर आरोप पत्र को बदलाव के साथ पूर्ण रूप से मुद्रित अवस्था में पेश करें।

गोधरा दंगे के मामलों की हुई सुनवाई की नजीर देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि वह आरोपियों की अलग-अलग सुनवाई को उचित मानते हैं ताकि‘‘उनका बचाव किसी पूर्वाग्रह से प्रभावित नहीं हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह की स्थिति गुजरात की अदालत के समक्ष गोधरा सांप्रदायिक दंगे मामलों की सुनवाई के दौरान उत्पन्न हुई थी…जहां पर उच्च न्यायालस ने दो अलग-अलग समुदायों के आरोपियों के मामलों को अलग-अलग सुनवाई की अनुमति दी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अदालत के अहलमाद (अदालत अधिकारी) को निर्देश दिया जाता है कि वह प्राथमिकी में अलग-अलग सत्र मामला क्रमांक डाले और मौजूदा आरोप पत्र को तीन आरोपियों कुलदीप, दीपक ठाकुर और दीपक यादव से जुड़े मामले के तौर पर अलग समझा जाए जबकि अन्य आरोप पत्र मोहम्मद फरकान और मोहम्मद इरशाद के मामले से जुड़ा समझा जाए।”

मामले की सुनवाई अलग-अलग करने का फैसला अदालत द्वारा आरोप तय करने के बाद आया। अदालत ने कहा कि पांचों आरोपियों को संबंधित धाराओं में अभिरोपित करने के लिए पर्याप्त सामग्री है।

अदालत ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा- 147 (दंगा), 148 (सशस्त्र और प्राणघातक हथियार से दंगा), 149 (समान मंशा से अपराध करने के लिए गैर कानूनी समागम का हिस्सा), 153ए (धार्मिक आधार पर हमला या अपमान), 302 (हत्या), 436 (आग या विस्फोटक सामग्री से उपद्रव), 505 (भड़काना), 120 बी (साजिश), 34 (समान मंशा) के तहत आरोप तय किया है।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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