गुजरात में देश की सबसे लंबी तटरेखा लेकिन दशकों तक इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया: मोदी |

गुजरात में देश की सबसे लंबी तटरेखा लेकिन दशकों तक इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया: मोदी

गुजरात में देश की सबसे लंबी तटरेखा लेकिन दशकों तक इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया: मोदी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : September 29, 2022/7:30 pm IST

(फोटो के साथ)

भावनगर, 29 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि गुजरात के पास देश की सबसे लंबी तटरेखा होने के बावजूद आजादी के बाद दशकों तक इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन पिछले 20 सालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने इसे भारत की ‘‘समृद्धि का द्वार’’ बनाने के लिए ‘‘ईमानदारी से प्रयास’’ किया है।

उन्होंने कहा कि गुजरात में भाजपा की सरकार ने प्रचार-प्रसार पर खर्च किए बगैर ही गुजरात के तटीय इलाकों में कई बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का क्रियान्यवन किया।

सौराष्ट्र क्षेत्र के भावनगर शहर स्थित जवाहर मैदान में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि भाजपा जो वादे करती है, उन्हें पूरा भी करती हैं क्योंकि उसके लिए सत्ता जनता की सेवा का माध्यम है।

कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात के पास देश की सबसे लंबी तटरेखा है लेकिन आजादी के बाद कई दशकों तक तटीय विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। इस वजह से ये विशाल तटरेखा एक तरह से लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी।’’

मोदी ने कहा कि समंदर का खारा पानी इस इलाके के लिए अभिशाप बना हुआ था और इस कारण समंदर के किनारे बसे गांव के गांव खाली हो गए थे। उन्होंने कहा कि पलायन कर लोग सूरत जाते थे और वहां दयनीय हालत में रहते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘बीते दो दशकों में गुजरात की तटरेखा को भारत की समृद्धि का द्वार बनाने के लिए हमने ईमानदारी से प्रयास किया है। रोजगार के अनेक नए अवसर खड़े किये हैं। गुजरात में हमने अनेक बंदरगाह विकसित किए, बहुत से बंदरगाहों का आधुनिकीकरण कराया, गुजरात में आज तीन बड़े एलएनजी टर्मिनल हैं, पेट्रोकेमिकल के केंद्र हैं और देश में गुजरात पहला राज्य था, जहां पहला एलएनजी टर्मिनल बना था।’’

ज्ञात हो कि मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद से वह देश के प्रधानमंत्री हैं।

मोदी ने कहा कि राज्य के तटीय इलाकों में स्थापित ऊर्जा संयंत्र ना केवल गुजरात बल्कि पूरे देश को ऊर्जा देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मछुआरे भाई-बहनों की मदद के लिए हमने मत्स्य बंदरगाह बनवाए, फिश लेंडिंग सेंटर्स और मछली प्रसंस्करण को भी बढ़ावा दिया। गुजरात के तटीय क्षेत्र में मैंग्रोव के जंगलों का विकास करके हमने कोस्टल इकोसिस्टम को और सुरक्षित बनाया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब तो सौर ऊर्जा की भी अनेक परियोजनाएं इस क्षेत्र में लग रही हैं। पालिताना में आज जिस सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन हुआ है, उससे क्षेत्र के अनेक परिवारों को सस्ती और पर्याप्त बिजली मिल पाएगी।’’

पिछले दिनों शुरु की गई रो-रो फेरी सेवा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे सौराष्ट्र और सूरत की दूरी लगभग 400 किलोमीटर से घटकर 100 किलोमीटर से भी कम हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत ही कम समय में इस सेवा से लगभग 3 लाख यात्री सफर कर चुके हैं। 80 हज़ार से अधिक गाड़ियों को यहां से वहां पहुंचाया गया है और इसी साल अब तक 40 लाख लीटर से अधिक पेट्रोल-डीज़ल की बचत हुई है। मतलब उतने पैसे आप लोगों की जेब में बचे हैं। आज से तो इस रूट पर बड़े जहाजों के लिए भी रास्ता साफ हुआ है।’’

मोदी ने कहा कि सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई (सौनी) योजना को लागू कर उन्होंने अपने आलोचकों को गलत साबित किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘आज मुझे बहुत संतोष होता है, जब सौनी योजना से हो रहे बदलाव को मैं देखता हूं। मुझे याद है मैंने जब सौनी योजना की बात कही थी तो सारे मीडिया वालों ने लिखा था कि देखो चुनाव आया, इसलिए मोदी ने घोषणा कर दी है। चुनाव जाएगा, भूल जाएंगे। लेकिन मैंने सबको गलत सिद्ध कर दिया। आज सौनी योजना में नर्मदा मैया को जहां-जहां पहुंचाने का संकल्प किया था, तेज गति से पहुंच रही है। हम वचन के पक्के लोग हैं, हम समाज के लिए जीने वाले लोग हैं।’’

मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने सौनी परियोजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य सौराष्ट्र के 11 जिलों के 115 छोटे बड़े बांधों के जलाशयों को सरदार सरोवर बांध के अतिरिक्त जल से भरा जाना था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया है उनसे भावनगर की पहचान और सशक्त होगी तथा सौराष्ट्र के किसानों को सिंचाई की नई सौगात देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान को और मज़बूती देंगे। रीजनल साइंस सेंटर के बनने से शिक्षा और संस्कृति के शहर के रूप में भावनगर की पहचान और समृद्ध होगी।’’

उन्होंने लोथल को भारत की विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र बताया और कहा कि इसे पूरी दुनिया के पर्यटन नक्शे पर लाने के लिए बहुत परिश्रम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोथल के साथ वेलावदर नेशनल पार्क में इको टूरिज्म से जुड़े सर्किट का लाभ भी भावनगर को होने वाला है, विशेष रूप से छोटे बिजनेस को होने वाला है।’’

प्रधानमंत्री दो दिनों के गुजरात दौरे पर हैं। शुक्रवार को भी वह कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे।

भाषा ब्रजेन्द्र पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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