उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे की अनुमति दी, मुस्लिम पक्ष शीर्ष न्यायालय पहुंचा |

उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे की अनुमति दी, मुस्लिम पक्ष शीर्ष न्यायालय पहुंचा

उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे की अनुमति दी, मुस्लिम पक्ष शीर्ष न्यायालय पहुंचा

:   Modified Date:  August 3, 2023 / 10:30 PM IST, Published Date : August 3, 2023/10:30 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

प्रयागराज/नई दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है।

उच्च न्यायालय द्वारा जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखने और यह फैसला देने के कुछ ही घंटों बाद कि प्रस्तावित सर्वेक्षण ‘‘न्याय के हित में आवश्यक है’’और इससे दोनों पक्षों को फायदा होगा, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया। मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुक्रवार को शुरू करेगी।

जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं को बताया कि एएसआई शुक्रवार से ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण का काम शुरू करेगा। उसने सर्वे कराने के लिये जिला प्रशासन से सहयोग मांगा है, जो उसे उपलब्ध कराया जाएगा।

उन्होंने बताया कि सुरक्षा को लेकर वाराणसी के पुलिस आयुक्त से बात हुई है और जिला प्रशासन शुक्रवार को सर्वे कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने के वाराणसी जिला अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी और माना कि आदेश न्यायसंगत और उचित है, और उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। कमेटी मस्जिद की देखरेख करती है।

वाराणसी की जिला अदालत के 21 जुलाई के एक आदेश में शहर में स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण एएसआई से कराने का आदेश दिया था।

अपने 16 पृष्ठ के आदेश में अदालत ने कहा, “इस अदालत के विचार में प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण न्यायहित में आवश्यक है। इससे वादी और प्रतिवादी दोनों लाभान्वित होंगे और निचली अदालत को निर्णय करने में मदद मिलेगी। निचली अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश न्यायोचित तरीके से पारित किया था।”

अंजुमन इंतेजामिया की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “एक बार जब पुरातत्व विभाग ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि विवादित संपत्ति को कोई क्षति नहीं होने जा रही, इस अदालत को उनके बयान पर संदेह करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।”

उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि एएसआई सर्वेक्षण पर जिला अदालत का आदेश तत्काल रूप से प्रभावी होगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं ने उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब स्थल पर मंदिर के बारे में ‘‘सच्चाई’’ सामने आ जायेगी।

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला संविधान के मुताबिक है।

उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘‘यह एक अच्छा फैसला है। हम भारतीयों के लिए यह उम्मीद भरा है। सच हमेशा सामने आता है, समय लगता है लेकिन सच सामने आ ही जाता है। मुगलकाल में जिस तरह से मंदिर को तोड़कर ढांचा खड़ा किया गया था…उस ज्ञानवापी को हम मस्जिद नहीं कह सकते। यह एक मंदिर है और वैसा ही रहेगा।’’

अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने कहा कि उपासना स्थल अधिनियम, 1991 को पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘नहीं तो ऐसा ही होता रहेगा, लोग मस्जिद में मंदिर ढूंढेंगे और कोई मंदिर में मठ ढूंढेगा। हर दिन खुदाई जारी रह सकती है। कुछ राजनीतिक दल जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक फायदा उठाते रहेंगे।’’

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वेक्षण की अनुमति देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

उच्च न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद अधिवक्ता निजाम पाशा ने तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। प्रधान न्यायाधीश अनुच्छेद 370 मुद्दे पर दलीलें सुनने वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।

पाशा ने कहा, ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक आदेश पारित किया है। हमने आदेश के खिलाफ एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की है। मैंने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) एक ईमेल भेजा है। उन्हें सर्वेक्षण की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ानी चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं तुरंत ईमेल देखूंगा।’’

हिंदू पक्ष के एक पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में एक कैविएट भी दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस मामले में उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

यह फैसला सुनाते हुए कि कोई भी अंतरिम आदेश निरस्त किया जाता है और वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई, 2023 के आदेश को बहाल किया जाता है, उच्च न्यायालय ने कहा कि समय के इस उन्नत चरण में कई नई चीजें विकसित हुई हैं और अब नई तकनीक और एएसआई के जिम्मेदार अधिकारियों के सक्षम मार्गदर्शन की मदद से वैज्ञानिक जांच कराई जा सकेगी।

उन्होंने कहा, ”मुझे इस तर्क में कोई दम नजर नहीं आता कि बिना किसी दीवार को खोदे एएसआई द्वारा चीजों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता। न्यायालय में उपस्थित अधिकारी ने भारत के विद्वान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के साथ मिलकर एक हलफनामे में स्पष्ट किया है कि कोई भी खुदाई नहीं होगी।”

इससे पूर्व, सुनवाई के दौरान, एएसआई के अपर महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने अदालत को सूचित किया था कि एएसआई ढांचे की खुदाई करने नहीं जा रहा है।

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा था, ‘‘हमने खुदाई के विभिन्न उपकरणों के फोटोग्राफ संलग्न किए हैं जिन्हें एएसआई की टीम मस्जिद परिसर लेकर पहुंची थी। यह दिखाता है कि उनका इरादा खुदाई करने का था।”

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि यद्यपि वे अपने साथ उपकरण ले गए, लेकिन इससे नहीं लगता कि उनका इरादा खुदाई करने का है।

इसके बाद आलोक त्रिपाठी ने स्पष्ट किया था कि चूंकि टीम पहली बार मस्जिद वाले स्थान पर गई थी, इसलिए वे अपने साथ कुछ उपकरण लेकर गए, लेकिन खुदाई के लिए नहीं, बल्कि स्थल से मलबा हटाने के लिए।

उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने इसे ‘‘बहुत महत्वपूर्ण निर्णय’’ बताते हुए संवाददाताओं से कहा कि अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने दलील दी थी कि इस सर्वेक्षण से ढांचा प्रभावित होगा, लेकिन अदालत ने उन सारी दलीलों को खारिज कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इससे पूर्व अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की दलील थी कि उसे उच्च न्यायालय जाने का मौका नहीं मिला, इसलिए अदालत ने उसकी दलीलों पर सुनवाई की।

मस्जिद का वह वजूखाना जहां कथित तौर पर शिवलिंग होने के दावे किए जा रहे हैं, इस सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं होगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने परिसर में उस जगह को संरक्षित करने का आदेश पूर्व में दिया था।

भाषा

शफीक पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)