उच्च न्यायालय ने मानहानिकारक लेख हटाने के आदेश के खिलाफ ब्लूमबर्ग को राहत देने से इनकार किया |

उच्च न्यायालय ने मानहानिकारक लेख हटाने के आदेश के खिलाफ ब्लूमबर्ग को राहत देने से इनकार किया

उच्च न्यायालय ने मानहानिकारक लेख हटाने के आदेश के खिलाफ ब्लूमबर्ग को राहत देने से इनकार किया

:   Modified Date:  March 14, 2024 / 08:21 PM IST, Published Date : March 14, 2024/8:21 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान ब्लूमबर्ग की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसे जी एंटरटेनमेंट के खिलाफ मानहानिकारक समाचार लेख को हटाने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति शालिंदर कौर ने कहा कि 21 फरवरी को प्रकाशित लेख के संबंध में जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मामले पर अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। न्यायाधीश ने ब्लूमबर्ग को तीन दिन में निर्देश का पालन करने का आदेश दिया।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इस चरण में विषय वस्तु पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है क्योंकि एडीजे को अभी ब्लूमबर्ग का पक्ष सुनना बाकी है।

न्यायमूर्ति कौर ने कहा कि मीडिया संस्थान जवाब दाखिल करने या अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए याचिका दायर करने का विकल्प तलाशे बिना उच्च न्यायालय पहुंच गया।

मामले की सुनवाई 26 मार्च को तय होने का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले में पक्ष शीघ्र सुनवाई के लिए एडीजे का रुख करने के लिए स्वतंत्र हैं। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि अपीलकर्ता को आज से तीन दिन के भीतर एक मार्च को जारी एडीजे के निर्देशों का पालन करना होगा।’’

एडीजे ने एक मार्च को ब्लूमबर्ग को एक सप्ताह के भीतर कथित मानहानिकारक लेख को हटाने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि जी ने ‘‘अंतरिम एकपक्षीय निषेधाज्ञा आदेश के लिए प्रथम दृष्टया मामला’’ साबित किया है।

एडीजे ने कहा था कि अगर आदेश जारी नहीं किया गया तो कंपनी को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

ब्लूमबर्ग ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि मुकदमे का उद्देश्य डराना और स्वतंत्र और निष्पक्ष अभिव्यक्ति के उसके अधिकार को चुप कराना है। यह भी दावा किया गया कि एडीजे ने पोर्टल को प्रकाशित कई अन्य लेखों को उनके सामने रखने का समय पर अवसर नहीं दिया और उसे अपना मामला स्थापित करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया।

भाषा आशीष माधव

माधव

 

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