इतिहास ने वीर कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया: अमित शाह |

इतिहास ने वीर कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया: अमित शाह

इतिहास ने वीर कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया: अमित शाह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:07 PM IST, Published Date : April 23, 2022/6:41 pm IST

जगदीशपुर (बिहार), 23 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि इतिहास ने वीर कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया और उनकी वीरता, योग्यता एवं बलिदान के अनुरूप उन्हें स्थान नहीं दिया गया, लेकिन आज बिहार की जनता ने श्रद्धांजलि देकर उनका नाम एक बार फिर इतिहास में अमर करने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की है कि 2047 में पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में शीर्ष पर होना चाहिए तथा वीर कुंवर सिंह को यही सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।

शाह यहां 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायकों में से एक और जगदीशपुर के तत्कालीन राजा वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन देश की स्वतंत्रता के 75 साल होने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत किया गया। कार्यक्रम में 77,700 लोगों ने एक साथ भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराकर 2004 में पाकिस्तान के 56,000 लोगों द्वारा लाहौर में पाकिस्तानी झंडा लहराकर बनाए गए विश्व रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

गृह मंत्री ने कहा कि इतिहास ने बाबू वीर कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया और उनकी वीरता, योग्यता एवं बलिदान के अनुरूप उन्हें स्थान नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को हमेशा एक विफल विद्रोह कहकर बदनाम करने का प्रयास किया लेकिन वीर सावरकर ने इसे आजादी का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहकर इसे उचित महत्व दिया।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की है कि भारत जब 2047 में स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा तो पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में शीर्ष पर होना चाहिए तथा बाबू वीर कुंवर सिंह को यही सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।

शाह ने कहा कि एक व्यक्ति (वीर कुंवर सिंह) कैसा था कि शहीद होने के 163 साल बाद भी लाखों लोग इस चिलचिलाती धूप में उन्हें श्रद्धांजलि देने आए हैं।

उन्होंने वीर कुंवर सिंह जैसे लोगों के योगदान को उजागर करने में विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका को भी याद किया और कहा कि सावरकर ने 1857 के विद्रोह को ‘भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ कहा था तथा इसी नाम से एक पुस्तक भी लिखी थी।

पार्टी के शीर्ष रणनीतिकार के रूप में देखे जाने वाले शाह ने बिहार को ‘जंगल राज’ से मुक्त करने में भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ निभाई गई भूमिका को भी याद किया।

राजद नेता तेजस्वी यादव पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए शाह ने कहा, ‘केवल लालू प्रसाद के पोस्टर के बिना घूमने से जंगल राज की यादें नहीं मिट सकतीं।’

कार्यक्रम में वक्ताओं ने शाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर से ‘अनुच्छेद 370 को खत्म करके पूर्ण राष्ट्रीय एकता’ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

शाह ने मोदी सरकार द्वारा विशेष रूप से कोरोना वायरस महामारी के दौरान किए गए उपायों का भी जिक्र किया।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के साथ पूरे पांच मिनट तक तिरंगा लहराया गया। उपस्थित लोगों को पहचान के लिए बैंड पहनाया गया और निगरानी के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के क्रम में ‘कैमरा ट्रैप’ लगाया गया। कार्यक्रम स्थल तब लोगों की तालियों से गूंज उठा जब विशाल स्क्रीन पर झंडा लहराने वालों की संख्या 77,700 दिखी।

पिछला विश्व रिकॉर्ड 56,000 पाकिस्तानियों द्वारा बनाया गया था जिन्होंने 2004 में लाहौर में एक समारोह में अपना राष्ट्रीय ध्वज लहराया था।

ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान शाह के साथ केंद्रीय मंत्री आर के सिंह और नित्यानंद राय, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी तथा उनके पूर्ववर्ती सुशील कुमार मोदी समेत बिहार के शीर्ष भाजपा नेता मौजूद थे।

शाह का दो साल से अधिक समय में राज्य का यह पहला दौरा है। उनका बिहार का पिछला दौरा जनवरी 2020 में हुआ था। उस समय उन्होंने सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद के मद्देनजर वैशाली जिले में एक रैली को संबोधित किया था।

उनका विशेष विमान पटना में जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल और कई कैबिनेट मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वह कार्यक्रम में शामिल होने भोजपुर जिले के जगदीशपुर पहुंचे।

इतिहासकारों के मुताबिक, वीर कुंवर सिंह ने 23 अप्रैल 1858 को जगदीशपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को हराया था। उनके सैनिकों ने ब्रिटिश सैनिकों को भगाकर वहां के किले से ‘यूनियन जैक’ उतार फेंका था। इसे उनका ‘विजयोत्सव’ कहा जाता है। हालांकि बुरी तरह घायल होने के कारण इस जीत के तीन दिन बाद ही वीर कुंवर सिंह का निधन हो गया था।

भाषा

नेत्रपाल पवनेश

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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