नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसधान परिषद (आईसीएमआर) को निर्देश दिया कि वह निजी प्रयोगशालाओं के खिलाफ मिल रही शिकायतों को देखे और शर्तों का उल्लंघन किए जाने पर उनका लाइसेंस रद्द करे।
उच्च न्यायालय ने कहा कि आईसीएमआर प्रयोगशालाओं को लाइसेंस देती है और वह अनजान नहीं बन सकती। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने कहा, ‘‘आपको इसे देखना होगा। आपने उन्हें लाइसेंस दिया है। पूरा साल चला गया। पूरा देश त्रस्त है। पूरा एनसीआर त्रस्त है।’’
उच्च न्यायालय अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा समूहक (एग्रीगेटर्स) के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जो गैर कानूनी तरीके से कोविड-19 नमूनों की जांच कर रहे हैं और नमूने एकत्र कर रहे हैं, जिसका कथित तौर पर अनुपालन नहीं किया गया।
आईसीएमआर ने कहा कि ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवा समूहक की गतिविधियों की निगरानी उसके कार्यक्षेत्र में नहीं आता।
याचिकाकर्ता डॉ.रोहित जैन का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने कहा कि आम लोग मर रहे हैं और आईसीएमआर दिशानिर्देश तय कर रहा है लेकिन कह रहा है कि यह मुद्दे उसके कार्यक्षेत्र में नहीं आते।
इसपर आईसीएमआर का पक्ष रख रहे केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलुवालिया ने कहा कि प्रतिवादी ने बस इतना कहा कि ऑनलाइन स्वास्थ्य समूहक की वह निगरानी नहीं करता। उन्होंने कहा कि जब भी निजी प्रयोगशालाओं के खिलाफ शिकायत आती है तो वह उनके खिलाफ कार्रवाई करता हैं।
अदालत ने कुछ समय के लिए दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
भाषा धीरज पवनेश
पवनेश
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