आईएमए प्रमुख अशोकन ने उच्चतम न्यायालय के खिलाफ बयानों के लिए उससे बिना शर्त माफी मांगी |

आईएमए प्रमुख अशोकन ने उच्चतम न्यायालय के खिलाफ बयानों के लिए उससे बिना शर्त माफी मांगी

आईएमए प्रमुख अशोकन ने उच्चतम न्यायालय के खिलाफ बयानों के लिए उससे बिना शर्त माफी मांगी

:   Modified Date:  May 14, 2024 / 07:46 PM IST, Published Date : May 14, 2024/7:46 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रमुख आर वी अशोकन ने ‘पीटीआई’ को दिये एक साक्षात्कार में उच्चतम न्यायालय के खिलाफ अपने बयान के लिए मंगलवार को शीर्ष अदालत में बिना शर्त माफी मांगी और खेद व्यक्त किया।

अशोकन ने 29 अप्रैल को समाचार एजेंसी के साथ साक्षात्कार के दौरान पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में शीर्ष अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि न्यायालय ने आईएमए और इसके सदस्य चिकित्सकों के कुछ व्यवहार की आलोचना की है।

अशोकन ने 23 अप्रैल की सुनवाई के दौरान न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए यह बयान दिया था। शीर्ष अदालत ने उस दौरान कहा था कि जब यह एक उंगली पतंजलि पर उठा रहा है तो शेष चार उंगलियां आईएमए की ओर हैं।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अमानउल्लाह की पीठ ने मंगलवार को अशोकन से कुछ कड़े सवाल पूछे और स्पष्ट कर दिया कि इस समय शीर्ष अदालत उनके इस बिना शर्त माफीनामे को स्वीकार नहीं करेगी।

न्यायालय में दाखिल एक हलफनामा में अशोकन ने कहा कि उन्हें अपनी इस गलती का एहसास हो गया है कि उन्हें साक्षात्कार में इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था, जब विषय अदालत के विचाराधीन था।

हलफनामा में कहा गया है, ‘‘अशोकन बिना शर्त माफी मांगते हैं और 23 अप्रैल 2024 को मौजूदा रिट याचिका में इस न्यायालय द्वारा पारित आदेश के संबंध में अपने बयानों को लेकर खेद व्यक्त करते हैं।’’

शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि उसका मानना है कि आईएमए को पहले खुद को दुरूस्त करने की जरूरत है।

पीठ ने कहा था, ‘‘एसोसिएशन के सदस्यों के कथित अनैतिक कृत्यों से जुड़ी कई शिकायतें हैं। ये चिकित्सक उन पर मरीजों द्वारा जताये जा रहे भरोसे का गलत फायदा उठा रहे हैं और (चिकित्सा परामर्श में) न केवल महंगी दवाइयां लिख रहे हैं बल्कि उपचार के दौरान टाले जा सकने वाली/अनावश्यक मेडिकल जांच का भी सुझाव दे रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत आईएमए द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने का एक अभियान चलाया गया।

न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दायर एक अर्जी पर सात मई को अशोकन का जवाब मांगा था। अर्जी में अनुरोध किया गया था कि साक्षात्कार में आईएमए प्रमुख द्वारा दिये गए बयानों का न्यायिक संज्ञान लिया जाए।

अशोकन ने अपने हलफनामे में कहा है कि उनका इरादा कभी भी शीर्ष अदालत की गरिमा कमतर करने या किसी भी तरीके से न्यायालय का अपमान करने का नहीं रहा था।

उन्होंने कहा, ‘‘उनका विनम्रतापूर्वक कहना है कि वह इस अदालत का काफी सम्मान करते हैं। इस अदालत के प्रति उनके मन में काफी सम्मान है और यहां तक कि इस अदालत के आदेशों की अवज्ञा करने की कल्पना तक नहीं कर सकते…।’’

आईएमए प्रमुख ने कहा कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर दिये साक्षात्कार में वे बयान देने से परहेज करना चाहिए था।

शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश में की गई टिप्पणियों के संदर्भ में अशोकन ने कहा कि आईएमए कुछ चिकित्सकों के अनैतिक व्यवहार के खिलाफ मिली शिकायतों से अवगत है और इस मुद्दे का हल करने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।

सुनवाई के दौरान, न्यायालय में उपस्थित अशोकन ने पीठ से बिना शर्त माफी मांगी और उदारता का अनुरोध किया।

पीठ ने कहा, ‘‘प्रेस को एक साक्षात्कार देकर और अदालत की निंदा कर आप आराम से नहीं बैठ सकते।’’

पीठ ने आईएमए की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया से कहा कि इस वक्त अदालत अशोकन द्वारा दिये गए माफीनामे को स्वीकार करने को इच्छुक नहीं है।

इसपर, पटवालिया ने कहा, ‘‘हमने आपकी टिप्पणी से सबक लिया है। हमें एक मौका दीजिए, हम इसे ठीक करेंगे।’’

पीठ ने विषय की अगली सुनवाई जुलाई में निर्धारित कर दी।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश

 

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