नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) ने अब तक भले ही किसी साझा कार्यक्रम की घोषणा नहीं की हो, लेकिन इसके घटक दलों की ओर से जारी घोषणा पत्रों में बेरोजगारी, महंगाई, जाति आधारित जनगणना जैसे कई मुद्दे समान हैं।
सूत्रों का कहना है कि झारखंड की राजधानी रांची में रविवार को संयुक्त सार्वजनिक सभा से पहले कुछ ‘गारंटी’ का साझा तौर पर वादा करने के संबंध में ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के बीच चर्चा हुई। हालांकि, इस गठबंधन द्वारा किसी साझा कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई।
इनमें से कई दलों के घोषणापत्रों में रोजगार का मुद्दा प्रमुखता से है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार में 30 लाख रिक्तियां भरने और प्रशिक्षुता का अधिकार अधिनियम लाने का वादा किया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने युवाओं के लिए एक साल की अप्रेंटिसशिप ( प्रशिक्षुता) का वादा किया है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बिहार में एक करोड़ नौकरियां सृजित करने का वादा किया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने काम के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने का वादा किया है। केंद्र सरकार की अहम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूरी में बढ़ोतरी का वादा कई विपक्षी दलों ने किया है।
कांग्रेस और तृणमूल उन दलों में शामिल हैं, जिन्होंने मनरेगा मजदूरी के रूप में प्रति दिन 400 रुपये का वादा किया है, जबकि भाकपा ने 700 रुपये का वादा किया है। माकपा ने मनरेगा के तहत हर साल कार्य की 100 दिन की सीमा को हटाने का वादा किया है, जबकि द्रमुक ने मजदूरी में वृद्धि और योजना के वित्तपोषण के लिए प्रति वर्ष 1,50,000 करोड़ रुपये के आवंटन का वादा किया है। सपा और राजद के घोषणापत्र में मनरेगा को लेकर कोई बात नहीं की गई है।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की किसान संगठनों की मांग के साथ, लगभग सभी सभी विपक्षी दलों ने इसका उल्लेख किया है। कांग्रेस, तृणमूल, भाकपा, माकपा, राजद, द्रमुक और सपा ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का वादा किया है।
जाति आधारित जनगणना कांग्रेस, भाकपा, माकपा, राजद, द्रमुक और सपा सहित कई विपक्षी दलों के लिए प्रमुख वादा है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के घोषणापत्र में इस मुद्दे का उल्लेख नहीं है, लेकिन पार्टी ने गैर वर्गीकृत समुदायों के लिए ओबीसी स्थिति का मूल्यांकन करने और सुझाव देने के लिए एक कार्यबल के गठन का वादा किया है।
भाषा हक माधव अविनाश
अविनाश
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