उकसाने में किसी व्यक्ति को कुछ करने के लिए भड़काने की मानसिक प्रक्रिया शामिल है: उच्चतम न्यायालय |

उकसाने में किसी व्यक्ति को कुछ करने के लिए भड़काने की मानसिक प्रक्रिया शामिल है: उच्चतम न्यायालय

उकसाने में किसी व्यक्ति को कुछ करने के लिए भड़काने की मानसिक प्रक्रिया शामिल है: उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : September 17, 2021/8:08 pm IST

नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत तथा कथित आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में महिला आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और उसके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को निरस्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि उकसाने में किसी व्यक्ति को कुछ करने के लिए उत्तेजित करने या इरादतन कुछ करने में मदद करने की मानसिक प्रक्रिया शामिल है।

न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि आरोपी की ओर से आत्महत्या के लिए उकसाने या मदद करने में संलिप्तत्ता के बिना, किसी को भी भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

पीठ ने कहा, ” उकसाने में किसी व्यक्ति को भड़काने और व्यक्ति को कोई कदम जानबूझकर उठाने में मदद करने की मानसिक प्रक्रिया शामिल है।”

अदालत ने कहा, ” धारा 306 के तहत अपराध के लिए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए एक सक्रिय कृत्य या प्रत्यक्ष संलिप्तत्ता की आवश्यकता होती है जिसके कारण मृतक को कोई विकल्प नहीं दिखा और उसने आत्महत्या कर ली।”

पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत और धारा 306 के लिए जारी गैर जमानती वारंट व आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

मृतक के भाई की शिकायत पर 11 मई, 2018 को उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के टीपी नगर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके भाई को महिला ने अपने घर बुलाया था जहां उसके माता-पिता और बहन ने जातिसूचक गालियां दीं। मृतक ने एक बोतल से जहर पी लिया और इस वजह से वह बेहोश हो गया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक, उसके भाई को अस्पताल ले जाया गया जहां लापरवाही के कारण उसकी मौत हो गई।

पीठ ने कहा कि रिकार्ड पर उपलब्ध सामग्री से स्पष्ट है कि घटना के दिन चार मई, 2018 को मृतक महिला के घर गया था जहां उसने एक छोटी शीशी , जिसे वह अपनी जेब में रखे था, बाहर निकालकर उससे जहर पी लिया। चूंकि उसने अपीलकर्ता के घर के सामने जहर पी लिया था, इसलिये यह अपने आप में अपीलकर्ता और मृतक के बीच किसी प्रकार के संबंध का संकेत नहीं देता है।

शीर्ष अदालत नेकहा कि इससे पहले जब मृतक इस महिला का पीछा कर रहा था तो उसने अपने पिता के साथ थाने जाकर इसकी शिकायत भी की थी।

भाषा शफीक अनूप

अनूप

 

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